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Photograph: (X)
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।सुप्रीम कोर्ट में आज (सोमवार) इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई हो सकती है। याचिका में उन्होंने अपने सरकारी आवास से जली हुई नकदी बरामद होने के मामले में आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य घोषित करने की अपील की है। याचिका में जस्टिस वर्मा ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की उस सिफारिश को भी रद्द करने की मांग की है, जिसमें संसद से उनके खिलाफ महाभियोग चलाने का अनुरोध किया गया था। यह सिफारिश 8 मई 2025 को दी गई थी।
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर 14 मार्च की रात आग लग गई थी। इस दौरान स्टोर रूम से भारी मात्रा में अधजली नकदी बरामद की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना की जांच के लिए तीन जजों की समिति बनाई थी, जिसकी अध्यक्षता पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू कर रहे थे।
जांच पैनल की रिपोर्ट
10 दिन चली इस जांच में 55 गवाहों के बयान दर्ज किए गए और घटनास्थल का निरीक्षण किया गया।रिपोर्ट में कहा गया कि स्टोर रूम पर जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का नियंत्रण था। समिति ने पाया कि मामला गंभीर कदाचार का प्रतीक है और महाभियोग योग्य है।
याचिका में क्या कहा गया?
जस्टिस वर्मा ने 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि:
जांच निष्पक्ष नहीं थी और केवल औपचारिकता निभाई गई।
उन्हें पूरा मौका नहीं दिया गया कि वे अपने पक्ष में सफाई दे सकें।
जांच रिपोर्ट पहले से तय कल्पनात्मक निष्कर्षों पर आधारित थी।
कार्यवाही को जल्दबाजी में निपटाने के प्रयास में प्रक्रियात्मक न्याय की अनदेखी की गई।
जांच निष्पक्ष नहीं थी और केवल औपचारिकता निभाई गई।
उन्हें पूरा मौका नहीं दिया गया कि वे अपने पक्ष में सफाई दे सकें।
जांच रिपोर्ट पहले से तय कल्पनात्मक निष्कर्षों पर आधारित थी।
कार्यवाही को जल्दबाजी में निपटाने के प्रयास में प्रक्रियात्मक न्याय की अनदेखी की गई।
सुनवाई किस बेंच के सामने?
यह याचिका जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ के सामने सूचीबद्ध हो सकती है। बता दें कि इस मामले के समय जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में थे, इस प्रकरण के चलते ही उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा गया था। उनकी वापसी पर इलाहाबार हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी एतराज दर्ज कराया था।
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