नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार महाभियोग नहीं ला सकती, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 124 में यह स्पष्ट है कि ऐसा प्रस्ताव केवल सांसद ही ला सकते हैं।
उन्होंने कहा- महाभियोग के लिए लोकसभा में 100 और राज्यसभा में 50
सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं। हम (कांग्रेस) इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं और हमारे सांसद भी लोकसभा में हस्ताक्षर कर रहे हैं।
तीन सदस्यीय समिति बनाने के लिए है यह प्रस्ताव
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को दावा किया कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखे पत्र ने इस कदम के लिए कांग्रेस को मजबूर किया। उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव महाभियोग का नहीं, बल्कि जजेस (इन्क्वायरी) एक्ट, 1968 के तहत तीन सदस्यीय समिति बनाने के लिए है। यह समिति जांच कर रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर सर्दियों के सत्र में हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले यह प्रस्ताव लोकसभा में रखा जाएगा और उसके बाद राज्यसभा में।बता दें कि जस्टिस वर्मा को लेकर विवाद मार्च में उस समय शुरू हुआ जब दिल्ली स्थित वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद एक गोदाम में आधे जले नोटों के बोरों का पता चला। सुप्रीम कोर्ट की समिति ने वर्मा को दोषी ठहराया। रिपोर्ट में कहा गया कि वर्मा और उनके परिवार का गोदाम पर नियंत्रण था।
बोले- केंद्र सरकार कर रही महाभियोग की तैयारी
पूर्व CJI संजीव खन्ना ने इस रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की सिफारिश की। इसके बाद केंद्र सरकार मानसून सत्र (21 जुलाई से) में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। वहीं, रमेश ने न्यायमूर्ति शेखर यादव के मुद्दे को भी उठाया, जिनके खिलाफ पिछले साल विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में महाभियोग नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि सात महीने बीत गए, लेकिन अब तक उस प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच, न्यायमूर्ति वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इन-हाउस पैनल की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है।
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