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अंग्रेजों को अपनी कलम और कुशल रणनीति से छकाने वाले महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का कानपुर से अटूट संबंध था। यही उनका कर्मक्षेत्र बना, यही उनकी शहादत हुई, लेकिन दुख की बात यह है कि कानपुरवासियों ने ही इस शहीद को लगभग भुला दिया। कल (25 मार्च) को विद्यार्थी जी का बलिदान दिवस है, लेकिन उनके नाम पर कानपुर में कोई भव्य स्मारक अब तक नहीं बन सका। बिरहाना रोड पर स्थित प्रताप प्रेस, जहां से उनका मशहूर अख़बार ‘प्रताप’ निकला करता था, खंडहर में तब्दील हो चुका है। सरकारों ने कई वादे किए, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
प्रयागराज में जन्म, कानपुर बना कर्मभूमि
कानपुर के अपना कार्य़ स्थल बनाने वाले पत्रकार शिरोमणि गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म 26 अक्टूबर 1890 का प्रयागराज में हुआ था। विधार्थी जी 25 मार्च 1931 में कौमी एकता के लिए बलिदान हो गए l 23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी भगत सिंह को फांसी के बाद कानपुर में दंगा भड़का तो गणेश शंकर विद्यार्थी लोगों को दंगाइयों से बचाने के लिए दौड़ पड़े l
बीमारी के बावजूद लोगों को बचाने दौड़े
25 मार्च की सुबह बीमारी से जूझ रहे विद्यार्थी जी कुछ साथियों के साथ निकल पड़े l बंगाली मोहाल, माहेश्वरी मोहाल और राम नारायण बाजार और आसपास हिंदू बहुल इलाकों से मुस्लिम परिवारों को बचा कर सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया l उन्हें सूचना मिली कि चौबेगोला और मूलगंज में कुछ हिंदू परिवार फंसे हैं l वे वहां पहुंचे तो उन्मादी भीड़ ने उन्हें घेर लिया l एक चिल्लाया.. अरे इन्हें मत मारो, इन्होंने तो अपने कई भाइयों को बचाया है , लेकिन उत्पातियों ने अनसुना कर दियाl उन पर चौतरफ़ा हमला बोल दिया गयाl वह फंस गए और उसी ठौर शहीद हो गए, उनका शव दो दिन उर्सला अस्पताल में मिला l
चौबेगोला में अब तक नहीं बना स्मारक, प्रताप प्रेस भी उपेक्षित
जिस चौबेगोला में विधार्थी जी शहीद हुए, वहां स्मारक आज तक नहीं बन सका l वहां एक मंदिर है, जिसके ऊपर एक शिलापट पर लिखा है कि यहां विधार्थी जी बलिदान हुए थे l इस तंग गली में गंदगी पसरी रहती है l कोई फूल चढ़ाने नहीं जाता l फीलखाना में प्रताप प्रेस की बिल्डिंग भी स्मारक में तब्दील न हो सकी l सरकारों ने वादे तो किए पर स्मारक आज तक न बन सका l गणेश जी की निशानियां और अमूल्य साहित्य गुम हो गया l
निजी संस्थाओं के प्रयास, लेकिन सरकारी स्तर पर उपेक्षा
कुछ निजी संस्थाओं ने विधार्थी जी की यादों को ज़िंदा रखने के प्रयास ज़रूर किए l गणेश शंकर विधार्थी स्मारक शिक्षा समिति ने पाण्डुनगर और फूलबाग में प्रतिमा स्थापित करवाई, दो ग्रन्थ निकाले, उनके नाम पर अख़बार प्रकाशित किया, दिल्ली में पत्रकार विद्यापीठ की स्थापना की l सरकार ने मेडिकल कालेज का नामकरण गणेश शंकर विधार्थी के नाम पर किया l कानपुर इतिहास समिति भी कोशिश कर रही है l
आजाद व भगत सिंह को दी कानपुर में शरण
26 अक्टूबर 1890 में जन्म, प्रताप अख़बार का प्रकाशन, हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष, संयुक्त प्रान्त कांग्रेस के अध्यक्ष, विधान परिषद के सदस्य, मजदूर आंदोलन के प्रणेता, नर्वल आश्रम की स्थापना, स्वतंत्रता संग्राम में कई बार जेल l 25 मार्च 1931 को शहीद हो गए l चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को प्रताप प्रेस में शरण, महात्मा गांधी भी प्रताप अख़बार आए थे l
इंदिरा गांधी ने मनाया था बलिदान दिवस
1981 में तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गणेश शंकर विधार्थी जी का 50 वां बलिदान दिवस मनाया था, इसका आयोजन कानपुर की गणेश शंकर विधार्थी स्मारक शिक्षा समिति की ओर से किया गया था l महात्मा गांधी जी भी प्रताप प्रेस आए थे और रात में ठहरे भी थे l
जहां बचपन बीता वह घर भी खंडहर
जानकार बताते हैं कि विद्यार्थी का बचपन हाथगाम (फतेहपुर) में बीता वह घर भी खंडहर में तब्दील हो चुका है l परिसर के एक कोने में स्मारक स्तंभ बनाकर स्वतंत्रता सेनानीयों के नाम लिखे गए हैं l एक समय जवाहरलाल नेहरू जी के निर्वाचन क्षेत्र में हाथगाम का यह स्थान भी था l इंदिरा गांधी भी वहां गईं थीं, लेकिन वहां भव्य स्मारक नहीं बन सका l हाथगाम में वहां से कुछ दूर विधार्थी जी के नाम पर विद्यालय है और प्रतिमा स्थापित है l