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Kanpur में कुत्तों का आतंक: बीबीए छात्रा पर जानलेवा हमला, चेहरे पर 17 टांके

कानपुर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। श्याम नगर में बीबीए छात्रा पर झुंड ने हमला कर दिया, चेहरे पर गहरे घाव और 17 टांके लगे। जानें पूरी खबर।

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Dhiraj Dhillon
_BBA student Vaishnavi Sahu
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अवारा कुत्तों के जानलेवा होने की समस्या अब सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं, बल्कि कानपुर समेत देशभर के शहरों में खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन, नगर निगम और जनप्रतिनिधियों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। कानपुर के श्याम नगर इलाके से आवारा कुत्तों के हमले का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। रामपुरम फेस-1 की रहने वाली 21 वर्षीय बीबीए छात्रा वैष्णवी साहू पर तीन कुत्तों ने उस वक्त हमला कर दिया जब वह कॉलेज से घर लौट रही थी। हमले में छात्रा का चेहरा और शरीर बुरी तरह घायल हो गया। कुत्तों ने जबड़े और नाक पर गहरे घाव कर दिए। स्थानीय लोगों की मदद से किसी तरह छात्रा की जान बची और परिवारजन उसे तुरंत कांशीराम अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसके चेहरे पर करीब 17 टांके लगाए।

हर गली में 20–25 कुत्ते, लोगों में दहशत

स्थानीय निवासियों का कहना है कि इलाके में हर गली में 20 से 25 कुत्तों का झुंड घूमता है। शहर में अनुमानित 1.25 लाख आवारा कुत्ते हैं, जिनमें से कौन खतरनाक है और कौन नहीं – यह कोई नहीं जानता। लोग कहते हैं कि अगर वैष्णवी की जगह कोई छोटा बच्चा होता तो उसकी जान बचाना मुश्किल हो जाता।

एंटी रेबीज इंजेक्शन पर करोड़ों का खर्च

कानपुर में हर साल एंटी रेबीज इंजेक्शन पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। उर्सला अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल 1000 से ज्यादा वायल का इस्तेमाल होता है। सिर्फ पिछले साल ही इस पर लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च हुए। अवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, हालांकि समस्या का स्थाई समाधान निकालने के लिए अभी भी इस मुद्दे पर काम की जरूरत है

दो साल में दोगुने हुए हमले

सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि वर्ष 2018 की तुलना में 2022-23 में कुत्तों के काटने के मामले दोगुने हो गए।
2018: लगभग 22,000 मामले
2022-23: 45,027 मामले
2025 (सिर्फ 6 महीने): 23,000 से ज्यादा मामले

इनमें से करीब 17,810 मामलों में चेहरे और गर्दन पर हमला हुआ। डॉक्टरों का कहना है कि अब सिर्फ एक डोज एआरवी इंजेक्शन काफी नहीं है, कम से कम चार डोज लेने जरूरी हो गए हैं।

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