Advertisment

मशहूर सिंगर कैलाश खेर ने बताया- भारत में बढ़ते कॉन्सर्ट कल्चर के साथ बेहतर सुविधाओं की जरूरत

मशहूर सिंगर कैलाश खेर, जिन्होंने अपने करियर में कई हिट गाने दिए हैं, ने हाल ही में भारत में बढ़ते कॉन्सर्ट कल्चर से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बात की।

author-image
YBN News
KailashKher

KailashKher Photograph: (ians)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

मुंबई, आईएएनएस।मशहूर सिंगर कैलाश खेर, जिन्होंने अपने करियर में कई हिट गाने दिए हैं, ने हाल ही में भारत में बढ़ते कॉन्सर्ट कल्चर से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बात की। खास बातचीत में कैलाश खेर ने बताया कि भारत में जो कॉन्सर्ट्स हो रहे हैं, उनमें भीड़ तो बहुत होती है, लेकिन वहां जरूरी सुविधाएं नहीं होतीं।

भारत में बढ़ते कॉन्सर्ट कल्चर से जुड़ी चुनौती 

जब उनसे पूछा गया कि म्यूजिक शो या इवेंट्स में साफ-सुथरे पब्लिक टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है, तो उन्होंने इस पर सहमति जताई और कहा कि कॉन्सर्ट में आए लोग मस्ती में इतने डूबे रहते हैं कि वे अक्सर बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी कर देते हैं।

समाज में समझदार और जागरूक लोगों की संख्या बढ़ती जाए

Advertisment

कैलाश खेर ने आगे कहा कि जैसे-जैसे लोगों की सोच कला और शिक्षा के जरिए आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे ये चुनौतियां भी धीरे-धीरे कम होंगी। उन्होंने कहा, ''समय के साथ इसमें सुधार होगा। अभी लोग कॉन्सर्ट में मस्ती और जोश में इतने खो जाते हैं कि वे बुनियादी सुविधाओं को भी भूल जाते हैं। ये समस्या गंभीर है। जब लोगों की सोच कला और अच्छी शिक्षा के जरिए आगे बढ़ेगी, तो इन बातों पर ध्यान रखना शुरू हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ''असली तरक्की सिर्फ मिसाइल या बारूदों से नहीं होती, बल्कि तरक्की तब होती है जब समाज में समझदार और जागरूक लोगों की संख्या बढ़ती जाए। सही शिक्षा से ऐसे लोग बनते हैं, जो समाज को बेहतर बना सकते हैं।''

बॉलीवुड म्यूजिक में आए बदलाव

Advertisment

जब कैलाश खेर से पिछले दस सालों में बॉलीवुड म्यूजिक में आए बदलाव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वे म्यूजिक को 'बॉलीवुड' या 'नॉन-बॉलीवुड' जैसे हिस्सों में नहीं बांटते।

भारत की संगीत विरासत के लिए एक अच्छा संकेत

उन्होंने बताया कि आजकल इंडिपेंडेंट और नॉन-फिल्म म्यूजिक बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। उनके खुद के प्लेटफॉर्म ने लोक कलाकारों, मंगणियार, और घुमंतु जनजाति की भी पहचान बढ़ाने में मदद की है। उनका मानना है कि ये बदलाव भारत की संगीत विरासत के लिए एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे हमारे देश के पारंपरिक संगीत और कलाकारों को सम्मान और पहचान मिल रही है।

Advertisment

भारतीय सिंगर वेस्टर्न स्टाइल की नकल

जब कैलाश खेर से पूछा कि आजकल कई भारतीय सिंगर वेस्टर्न स्टाइल की नकल क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, "आजकल पढ़े-लिखे लोग भी बस दूसरों की नकल करते हैं, जैसे रटा-रटाया बोल रहे हों। इस बढ़ते चलन के कारण हमने 'कैलाश खेर एकेडमी फॉर लर्निंग आर्ट' (केकेएएलए) शुरू किया है। इसका मकसद लोगों में छिपी प्रतिभा को आगे लाना है। कला सिर्फ गाना या नाचना नहीं है, कला का असली मतलब समझ, असलीपन और अपनी अलग पहचान से है। कलाकारों को कॉपी करने की बजाय कुछ नया, सच्चा और भावपूर्ण बनाना चाहिए।"

भारत में बहुत से लोगों में जन्मजात टैलेंट होता

कैलाश खेर ने आगे कहा, ''भारत में बहुत से लोगों में जन्मजात टैलेंट होता है, खासकर जो गरीब या कम सुविधाओं वाले परिवारों से आते हैं। ये लोग अपने अनुभव से बहुत कुछ सीखते हैं, जो काबिले-तारीफ है, लेकिन उन्हें कोई सही दिशा नहीं मिलती। केकेएएलए ऐसे लोगों को एक सही तरीका और प्रशिक्षण देने के लिए शुरू की गई है। इस एकेडमी का मकसद सिर्फ गाना सिखाना नहीं है, बल्कि स्कूलों तक पहुंचकर बच्चों की मानसिक सेहत पर भी ध्यान देना है, क्योंकि आज के समय में ये एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है।''

'कैलाश खेर एकेडमी फॉर लर्निंग आर्ट'

उन्होंने कहा कि आज हर कोई, चाहे वो पैरेंट्स हों, प्रिंसिपल, स्कूल ट्रस्टी, या बच्चे, सब पर किसी न किसी तरह का दबाव है। लेकिन कोई भी इसे ठीक से समझने या हल करने की कोशिश नहीं कर रहा। केकेएएलए का लक्ष्य है कि कला, संगीत और क्रिएटिविटी को स्कूलों का हिस्सा बनाया जाए, ताकि बच्चों का तनाव कम हो, और वे मानसिक रूप से ज्यादा खुश और मजबूत बन सकें।

Advertisment
Advertisment