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VishnuManchuactor Photograph: (ians)
मुंबई आईएएनएस। मशहूर स्टार और फिल्म निर्माता मोहन बाबू के बेटे और एक्टर विष्णु मांचू ने माना कि उनके परिवार का नाम होने की वजह से उन्हें मौके जरूर मिले, लेकिन इसके साथ-साथ उन पर दबाव भी रहा। बात करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें असली खुशी और मकसद तब मिला, जब उन्होंने दूसरों की उम्मीदों के पीछे भागना बंद किया और खुद के लिए फैसले लेने शुरू किए।
अलग पहचान बनानी शुरू
बातचीत में विष्णु मांचू ने कहा कि जब उन्होंने अपनी अलग पहचान बनानी शुरू की, तो यह सफर दबाव से शुरू होकर मकसद तक पहुंचा।
उन्होंने कहा, ''सरनेम काम के मौके जरूर देता है, लेकिन इसके साथ दबाव भी बहुत होता है। शुरुआत में मैं सबकी उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करता रहा, जो बहुत थकाने वाला था। लेकिन असली मकसद तब मिला जब मैंने यह समझा कि पारिवारिक विरासत का मतलब यह नहीं है कि मैं सब कुछ अपने पिता जैसा करूं, बल्कि यह आजादी है कि मैं अपने मन का काम कर सकूं, नए तरीके से कुछ कर सकूं।''
विष्णु मांचूने कहा, ''जब मैंने खुद की दूसरों से तुलना करना बंद किया, तब मेरे फैसले, चाहे अच्छे रहे हों या गलत, वह मेरी जिम्मेदारी और पहचान बन गए।''
फिल्म 'कनप्पा' की रिलीज
विष्णु मांचू इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म 'कनप्पा' की रिलीज का इंतजार कर रहे हैं। वह सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि फिल्म निर्माता और उद्यमी भी हैं।
वह खुद को किस रूप में सबसे सच्चा और सही महसूस करते हैं? इस सवाल का विष्णु मांचू ने तुरंत जवाब दिया और कहा, 'प्रोड्यूसर और अभिनेता के रूप में।'
फिल्म बनाना मेरे अंदर की योजना
उन्होंने आगे कहा, ''फिल्म बनाना मेरे अंदर की योजना बनाने वाली सोच को मजबूत करता है, और एक्टिंग मुझे अपने काम की असलियत से जोड़े रखती है। जब ये दोनों काम एक साथ चलते हैं, तो मैं कहानी की पूरी जिम्मेदारी ले सकता हूं, बजट से लेकर आखिरी सीन तक, और कहीं भी एक्टिंग से समझौता नहीं करना पड़ता।"