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प्रेमी उसका दोस्त और सूटकेस पर बैठी आकांक्षा।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के कानपुर की 20 वर्षीय आकांक्षा, जिसे सब माही कहकर पुकारते थे, अपने छोटे-से जीवन में बड़े सपने देखती थी। लेकिन प्यार के धोखे ने उसकी हंसी, उसका बचपन, उसकी जिंदगी सब कुछ निगल लिया। विडंबना यह रही कि जिस सूटकेस पर बैठकर उसने हंसते हुए रील बनाई थी, उसी सूटकेस में उसकी लाश बंद कर प्रेमी सूरज ने यमुना की लहरों में फेंक दिया।
इंस्टाग्राम से शुरू हुआ रिश्ता, फिर प्यार में बदल गया
आकांक्षा कानपुर देहात के सुजनीपुर गांव की बेटी थी। करीब एक साल पहले आकांक्षा की दोस्ती इंस्टाग्राम पर फतेहपुर जिले के हरीखेड़ा निवासी सूरज उत्तम से हुई। चैटिंग, मुलाकातें और फिर प्यार धीरे-धीरे आकांक्षा का जीवन उसी के इर्द-गिर्द घूमने लगा। सूरज ने उसे भरोसा दिलाया, साथ जीवन बिताने के सपने दिखाए। आकांक्षा ने भी रिश्ते को निभाने की कोशिश में नौकरी बदली, हनुमंत विहार के पास कमरा लिया और सूरज के कहने पर उसके करीब आ गई।फिर वह रिश्ते उसके जीवन का सबसे काला सच बन गए।
धोखे का अहसास होने पर उठा तूफान, और शुरू हो गये लड़ाई झगडे
शुरुआत में सब कुछ सामान्य दिखा, लेकिन जल्द ही आकांक्षा को सूरज की असलियत का अंदेशा हुआ। कई और लड़कियों से उसके संबंधों की जानकारी मिली। उसने विरोध किया, लड़ाई-झगड़े हुए, लेकिन सूरज बार-बार झूठे वादे कर उसे शांत करता रहा।
पुलिस की जांच में सामने आया कि 21 जुलाई की शाम, जब दोनों के बीच आखिरी बार झगड़ा हुआ, तो सूरज ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। उसने पहले आकांक्षा की छाती पर बेरहमी से वार किए और फिर गला दबाकर उसकी जिंदगी खत्म कर दी।
प्रेमी ने शव फेंकने से पहले सूटकेस संग सेल्फी लेकर स्टेटस तक डाल दिया
हत्या के बाद उसका दोस्त आशीष भी इस खौफनाक साजिश का हिस्सा बना। दोनों ने मिलकर आकांक्षा के शव को सूटकेस में भरा, बाइक पर लादा और बांदा के चिल्ला घाट से यमुना की लहरों में बहा दिया। इस दौरान सूरज ने इतना शातिर खेल खेला कि शव फेंकने से पहले सूटकेस संग सेल्फी लेकर स्टेटस तक डाल दिया। फोटो सबके सामने थी, लेकिन किसी ने शक नहीं किया।
इस पूरे समय के दौरान सूरज ने परिजनों और पुलिस को गुमराह किया। आकांक्षा की तलाश में शामिल होने का नाटक किया। लेकिन आखिरकार मोबाइल लोकेशन और सीडीआर की जांच ने उसका झूठ बेनकाब कर दिया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि यमुना में शव फेंकने से पहले आकांक्षा का मोबाइल ट्रेन में छिपा दिया ताकि पुलिस भ्रमित हो जाए।
अब भी यमुना की लहरों में आकांक्षा का शव ढूंढ रही पुलिस
आज मां विजयश्री और भाई-बहन आकांक्षा की याद में बिलख रहे हैं। मां बार-बार बस यही कहती हैं जिस बेटी ने कभी घर से बाहर कदम रखते वक्त मुझे फोन किया बिना चैन नहीं लिया, वही बेटी बिना अलविदा कहे चली गई।
पुलिस अब भी यमुना की लहरों में उस मासूम का शव ढूंढ रही है। लेकिन हकीकत यह है कि आकांक्षा के सपने, उसकी हंसी, उसका जीवन सब यमुना के गहरे पानी में हमेशा के लिए दफन हो चुका है।
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