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ईको टूरिज्म को बढ़ावा देगी बफर में सफर योजना Photograph: (Social Media)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड राज्य को इको टूरिज्म हब के तौर पर विकसित कर रहा है। बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता को संरक्षित करते हुए बफर में सफर योजना शुरू की जा रही है। इसके लिए भीरा वन क्षेत्र में सफारी ट्रैक का विकास किया गया है जबकि मानसून सफारी के लिए मोहम्मदी क्षेत्र में नया सफारी रूट बनाया गया है। दुधवा कार्ययोजना के तहत स्टेक होल्डर्स और टूर-ट्रेवेल आपरेटर्स आदि के साथ बैठक हुई थी। इसमें पर्यटकों के लिए मात्र 7 महीने घूमने के अवसर उपलब्ध होने की समस्या सामने आई थी। इसको देखते हुए बोर्ड की पहल पर विस्टाडोम ट्रेन का संचालन शुरू हुआ जिसका लाभ लोग वर्ष भर ले सकेंगे। इसी प्रकार से मोहम्मदी क्षेत्र में विकसित सफारी ट्रैक भी वर्ष भर पर्यटकों हेतु उपलब्ध रहेगा।
इको टूरिज्म हब बनाने की दिशा में कदम
उत्तर प्रदेश को ईको टूरिज्म के हब के तौर पर विकसित करने के लिए प्रमुख सचिव वन की अध्यक्षता में पिछले दिनों बैठक हुई। इसमें दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट और किशनपुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी अलग—अलग दिन बंद करने पर सहमति बनी। अभी तक तीनों जंगल एक ही दिन बंद होते थे। बैठक में इको सेंस्टिव जोन की अधिसूचना के अतिशीघ्र निर्गमन हेतु प्रभावी पैरवी एवं त्वरित कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया।
पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति
निदेशक पर्यटन प्रखर मिश्रा ने कहा कि दुधवा में ईको पर्यटन विकास पर बोर्ड का दो मुख्य बिंदुओं पर फोकस है। इसमें पहला वन संरक्षण जागरूकता है। इसके अंतर्गत नेचर गाइडों के साथ मीटिंग की गई है और उनको प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि पर्यटकों को वन्यजीवों के साथ—साथ जंगल की विस्तार से जानकारी दें। इस हेतु विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है। दूसरा लक्ष्य स्थानीय समुदाय को पर्यटन से जोड़कर आय में वृद्धि किया जाना। इसके लिए उनके व्यंजन और क्राफ्ट को पर्यटकों तक पहुंचाया जाएगा। थारू थाली को आइटनरी में शामिल करने के लिए पिछले दिनों ट्रायल भी किया गया है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए नेचर गाइड, कैंटीन कर्मियों और खानसामों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण न केवल उनकी कौशल क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि पर्यटकों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं भी सुनिश्चित करेगा। साथ ही स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और आय के नए अवसर भी प्रदान करेगा।
प्रसिद्ध खानपान को पर्यटकों तक पहुंचाने की तैयारी
उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड दुधवा नेशनल पार्क के आसपास बसी थारू जनजाति को पर्यटन से जोड़ा जा रहा है। इनके प्रसिद्ध खानपान को पर्यटकों तक पहुंचाने की तैयारी है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को होमस्टे बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उसके लाभ से लोगों को अवगत कराया जा रहा हैं। इन प्रयासों के चलते उत्तर प्रदेश जल्द ही देश और दुनिया के नक्शे पर इको टूरिज्म के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।
पर्यटकों को पसंद आ रही विस्टाडोम ट्रेन सेवा
दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट और किशनपुर वन्यजीव अभ्यारण्य को एकीकृत करते हुए पर्यटकों के लिए सुलभ और रोमांचक अनुभव देने के लिए विस्टाडोम ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड की पहल पर शुरू की गई यह सेवा पर्यटकों को खूब पसंद आ रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि टिकट वेटिंग हो गया है। पर्यटकों की इस पंसदीदा ट्रेन में शीघ्र ही खाने की भी व्यवस्था होगी। इसके साथ ही अत्याधुनिक तकनीकी के माध्यम से लोगों को जंगल और वन्य जीवों को बारे में ट्रेन यात्रा के बारे में बताया जाएगा।
सोशल मीडिया पर प्रभावी प्रचार
उत्तर प्रदेश ईकोटूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा हाल ही में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को विस्टाडोम कोच यात्रा का अनुभव कराया गया। इन्फ्लुएंसर्स ने ट्रेन के माध्यम से गुजरते जंगलों, प्राकृतिक दृश्यों और विस्टाडोम कोच के आकर्षण को कैमरे में कैद किया और उसे अपने इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर साझा किया। इसमें कई रील को अब तक 8-10 लाख से अधिक दर्शकों ने देखा है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ईको पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। इसे धरातल पर उतारा जा रहा है। दुधवा को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटक गंतव्य बनाने के लिए उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड कटिवद्ध है। इसकी समग्र कार्य योजना तैयार की जा रही है।