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खजाना खुला रहा, खर्च नहीं कर पाए विभाग Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 72 जरूरी कार्यों के लिए अनुपूरक बजट के माध्यम से विभागों को 3,312.20 करोड़ रुपये दिए थे। लेकिन यह बजट विभाग खर्च नहीं कर सके। सीएजी ने इसे गंभीर मानते हुए टिप्पणी की है कि यह बजट आवंटन अनावश्यक सिद्ध हुए क्योंकि खर्च की गई राशि मूल बजट प्रविधानों के स्तर तक भी नहीं थी।
एक करोड़ से अधिक 72 मामलों का जिक्र
भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG-कैग) की वर्ष 2023-24 के लिए राज्य वित्त पर जारी की रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि 72 प्रकरणों में एक करोड़ और इससे अधिक धनराशि का प्रविधान अनुपूरक के माध्यम से किया गया है। इनमें राजस्व मद से 39 मामले और 33 मामले पूंजीगत (विकास) कार्यों से संबंधित थे।
2019 से जीडीपी में 10.31 प्रतिशत की औसर वृद्धि
सीएजी की रिपोर्ट में उल्लेख है कि राज्य की अर्थव्यवस्था (जीएसडीपी) वर्तमान मूल्यों पर वर्ष 2019-20 से 10.31 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से बढ़ते हुए 2023-24 में 25,47,861 करोड़ रुपये पहुंच गई है। वर्ष 2022-23 के मुकाबले जीएसडीपी में वर्ष 2023-24 में 11.55 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य का बजट खर्च 11.18 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
राजस्व में 11.64 प्रतिशत वृद्धि
2019-20 में कुल बजट खर्च 11.18 प्रतिशत की दर से बढ़ परिव्यय (खर्च) 5,26,809 करोड़ रुपये से 11.28 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 7,62,484 करोड़ रुपये हो गया। सरकार की कमाई (राजस्व प्राप्तियां) भी 11.64 प्रतिशत की दर से बढ़ी हैं। राजस्व प्राप्तियां जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में 2023-24 में 18.28 प्रतिशत थीं। वर्ष 2023—24 में राज्य सरकार के कर राजस्व में 10.94 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
सीएजी रिपोर्ट में राज्य सरकार की सराहना भी
सीएजी ने रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्त की कुछ बातों की सराहना भी की है। उनमें राजकोषीय घाटा यूपीएफआरबीएम द्वारा निर्धारित 3.39 प्रतिशत के अंदर रखना, वर्ष 2022-23 के मुकाबले वर्ष 2023-24 में राजस्व प्राप्ति में 11.64 प्रतिशत की वृद्धि, वर्ष के दौरान 36,013.28 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष तथा राजस्व खर्च के मुकाबले प्रतिबद्ध खर्च में वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24 के दौरान घटने की प्रवृत्ति का जिक्र प्रमुख है। इसके साथ ही राज्य पर कुल कर्ज जीएसडीपी के अनुपात में जो वर्ष 2020-31 के 34.08 प्रतिशत था वह वर्ष 2023-24 में महज 29.58 पर आ जाने की सराहना भी है।