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मदरसे में जांच करने पहुंची पुलिस।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता । उत्तर प्रदेश एटीएस (ATS) की जांच में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के खिलाफ बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बलरामपुर से गिरफ्तार किए गए छांगुर बाबा पर आरोप है कि वह केवल धर्मांतरण ही नहीं, बल्कि भारत की सांप्रदायिक एकता को तोड़ने के बड़े षड्यंत्र में शामिल था। जांच एजेंसियों का मानना है कि छांगुर बाबा का नेटवर्क बहुस्तरीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ है, जिसकी कड़ियों को जोड़ने में एटीएस के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सक्रिय हो गई है।
यह किताब छांगुर बाबा ने खुद प्रकाशित करवाई थी
एटीएस की कार्रवाई के दौरान छांगुर बाबा के बताए एक ठिकाने से ‘शिजर-ए-तैयबा’ नामक किताब बरामद की गई है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह किताब केवल धार्मिक साहित्य नहीं, बल्कि लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण जैसे कार्यों को बढ़ावा देने का हथियार थी।सूत्रों का कहना है कि यह पुस्तक मुस्लिम युवकों को हिंदू लड़कियों से संपर्क बढ़ाने, उन्हें धर्म के नाम पर प्रभावित करने और बाद में इस्लाम कबूल करवाने जैसे खतरनाक मानसिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती थी। एटीएस के अफसरों के अनुसार, यह किताब छांगुर बाबा ने खुद प्रकाशित करवाई थी और वह इसे चुनिंदा लोगों को बांटता था, जिनसे उसे सहमति मिलने की उम्मीद होती थी।
धर्मांतरण के पीछे प्रॉपर्टी सिंडिकेट और हवाला नेटवर्क भी आया सामने
धर्मांतरण के इस सिलसिले को संचालित करने के लिए छांगुर बाबा ने संपत्ति व्यापार और हवाला के ज़रिए भारी फंडिंग जुटाई थी। बलरामपुर के उत्तरौला क्षेत्र में छांगुर ने छह स्थानों पर कीमती जमीनें खरीदी थीं। दो बड़े कॉम्प्लेक्स बनवाए और शहर के बाहर प्लॉटिंग कराई। यह कार्यवाही महबूब और नवीन रोहरा जैसे उसके सहयोगी संभालते थे।धर्मांतरण के इस नेटवर्क में भारी रकम लगती थी, जिसे वह संपत्ति से हुई आमदनी से पूरा करता था। उसके साथियों ने बताया कि छांगुर बाबा हिंदू श्रमिकों, गरीब परिवारों और महिलाओं को आर्थिक सहायता के नाम पर अपने जाल में फंसाता था। पहले उन्हें घरों की सफाई या पशुपालन का कार्य देकर दैनिक भत्ता देता, फिर उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने का दबाव डालता।
छांगुर बाबा का नेटवर्क नेपाल सीमा से सटे सात जिलों तक फैला हुआ था
एक व्यक्ति, जो पहले छांगुर का करीबी था, उसने खुलासा किया कि बाबा पहले पैसे देकर सहानुभूति अर्जित करता और फिर उन्हें ‘बेहतर भविष्य’ का झांसा देकर इस्लाम अपनाने को कहता। वहीं, छांगुर के घर में काम करने वाले संचित ने एटीएस को बताया कि बाबा ने धर्म बदलने पर उसे पांच लाख रुपये देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन जब उसने मना किया तो फर्जी दुष्कर्म के केस में फंसा दिया गया।एटीएस की जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर बाबा का नेटवर्क नेपाल सीमा से सटे सात संवेदनशील जिलों तक फैला हुआ था। यहां वह ईसाई मिशनरियों के साथ सांठगांठ कर धर्मांतरण का अभियान चला रहा था। ये मिशनरियां उसे आर्थिक और लॉजिस्टिक सहायता भी प्रदान कर रही थीं।बलरामपुर के साथ-साथ श्रावस्ती जिले में भी छांगुर बाबा के नेटवर्क के सक्रिय होने के प्रमाण मिले हैं। नवाबगंज के नवाब रोहता में स्थित कुछ बैंक खातों की जांच में एटीएस को बड़ा फर्जीवाड़ा मिला है। जांच एजेंसी ने सात बैंक खातों में संदिग्ध ट्रांजेक्शनों को चिन्हित किया है। इसमें हवाला के माध्यम से बड़ी रकम ट्रांसफर की गई थी।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन और नए खुलासे,FIR दर्ज, चार सहयोगी भी रडार पर
एटीएस और ईडी इस मामले में अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की भी जांच कर रही हैं। संदेह है कि छांगुर बाबा को खाड़ी देशों से हवाला के माध्यम से फंडिंग मिल रही थी। कुछ संदिग्ध कॉल डिटेल्स और विदेश यात्राओं की जानकारी भी एजेंसियों के हाथ लगी है।बलरामपुर की ही एक फरीदाबाद निवासी किशोरी के धर्म परिवर्तन का मामला भी सामने आया है, जिसे बाबा के नेटवर्क ने बहला-फुसलाकर इस्लाम कबूल करवाया था। इस मामले में भी एक अलग एफआईआर दर्ज की गई है। मामले में एटीएस ने छांगुर बाबा सहित उसके नेटवर्क से जुड़े चार युवकों के खिलाफ FIR दर्ज की है। एटीएस की टीम लगातार इन सभी की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है और जल्द ही अन्य गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
छांगुर बाबा के एक और लिंक का खुलासा
हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन, लव जिहाद व देश विरोधी गतिविधियों के आरोपी बलरामपुर के उतरौला निवासी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के एक और लिंक का खुलासा हुआ है। पुलिस व प्रशासनिक टीम शनिवार को श्रावस्ती के इकौना देहात के रहमान पुरवा स्थित जामिया नूरिया फातिमा लिल बनात संस्था व मदरसा पहुंची। एडीएम के नेतृत्व में पहुंची टीम ने मदरसा सील करके वहां रखे अभिलेख अपने साथ ले गई।गुजरात के वडोदरा जिले के धोबोई निवासी सैयद सिराजुद्दीन हाशमी ने इकौना देहात के रहमान पुरवा में 2019 में जामिया नूरिया फातिमा लिल बनात संस्था/मदरसा बनवाया था। इस आवासीय बालिका मदरसे में 300 छात्राएं रहकर शिक्षा ग्रहण कर रही थीं। जबकि, इसकी मान्यता भी नहीं थी। बाद में उसने मदरसे के बगल में करीब दो बीघा भूमि और खरीदी। उस पर भवन निर्माण शुरू कराया था। एक मई को एसडीएम की जांच में मदरसा संचालन से संबंधित अभिलेख नहीं मिले।
टीम ने मदरसा सील करने के बाद कागज अपने साथ ले गई
जानकारी के लिए बता दें कि तीन मई को डीएम के निर्देश पर मदरसे को सील कर दिया गया था। इसमें सैयद सिराजुद्दीन हाशमी का आवास होने के कारण आवासीय परिसर को बाद में खोल दिया गया। हालांकि, मदरसा सील था। अब छांगुर मामले में नाम आने के बाद शनिवार को एडीएम अमरेंद्र कुमार वर्मा के नेतृत्व में एसडीएम ओम प्रकाश, सीओ भिनगा सतीश शर्मा, नायब तहसीलदार अमरेश कुमार, एसओजी टीम प्रभारी नितिन यादव व एसओ अखिलेश पांडेय की टीम मदरसा पहुंची। इस दौरान वहां रखे अभिलेख टीम अपने साथ ले गई।
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