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डा. शाहीन ।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। देश की राजधानी दिल्ली में हुए भयानक बम धमाके के मामले ने अब उत्तर प्रदेश को भी सेंसरशिप के केंद्र में ला दिया है। एनआईए ने राजधानी निवासी डॉ. शाहीन सईद समेत चार आरोपियों को कस्टडी में लेकर जांच की रफ्तार को बढ़ा दिया है। सूत्रों के अनुसार, डॉ. शाहीन को लखनऊ और कानपुर, जबकि डॉ. आदिल को सहारनपुर लाया जा सकता है। दोनों से उनके संपर्क, करीबी सहयोगियों और संभावित नेटवर्क के बारे में पूछताछ की जाएगी।
कानपुर क्यों गई थी शाहीन पता लगाने में जुटी एजेंसियां
दो माह पहले डॉ. शाहीन की कानपुर और लखनऊ यात्रा पर एजेंसियां विशेष ध्यान दे रही हैं। उनका मकसद सिर्फ यह पता करना नहीं कि शाहीन वहां क्यों गई थी, बल्कि यह भी कि उसने किन लोगों से मुलाकात की और किन नेटवर्क के संपर्क में रही। यूपी एटीएस और एनआईए की टीम ने कई डॉक्टरों और संदिग्धों से पूछताछ तेज कर दी है।जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि धमाके से जुड़े सात मोबाइल नंबर फरीदाबाद और दिल्ली के लाल किले के आसपास धमाके से पहले सक्रिय थे।
धमाके से 25 दिन पहले शाहीन कानपुर में मौजूद थी
इन नंबरों से राजधानी और आसपास के 22 संवेदनशील नंबरों के साथ बातचीत और व्हाट्सएप मैसेज भी किए गए। सुरक्षा एजेंसियां इन सभी कड़ियों को जोड़कर पूरे नेटवर्क को ट्रेस कर रही हैं।डॉ. शाहीन और उसके भाई डॉ. परवेज अंसारी का नाम सामने आने के बाद कानपुर और लखनऊ की सुरक्षा एजेंसियों की निगाहें भी शहर पर टिक गई हैं। जांच में यह भी पता चला कि धमाके से 25 दिन पहले शाहीन कानपुर में मौजूद थी। शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है, जिसमें से एक फुटेज में काले रंग की एसयूवी कार में महिला को देखा गया, लेकिन नकाब पहनने के कारण उसकी पहचान नहीं हो सकी।
चारों आरोपियों को जल्द लिया जाएगा रिमांड पर
जांच अधिकारी पुरानी एसयूवी कारों और अन्य संदिग्ध वाहनों की भी पड़ताल कर रहे हैं। इसके अलावा पुलिस ने कश्मीरी मूल के छात्रों और शोधार्थियों का सत्यापन शुरू किया है। लगभग 150 छात्रों की जानकारी जुटाई जा रही है, लेकिन दो छात्र लापता हैं और संस्थान प्रशासन इस संबंध में सहयोग नहीं कर रहा।सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि दिल्ली धमाके के तार अब यूपी और पड़ोसी राज्यों तक जुड़े हुए हैं। एनआईए, आईबी, यूपी एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर आरोपियों और उनके सहयोगियों के नेटवर्क को तोड़ने की कवायद में जुटी हैं। जांच अधिकारी कह रहे हैं कि चारों आरोपियों को जल्द ही रिमांड पर लेकर अलग-अलग जगहों पर पूछताछ की जाएगी।शहर में हड़कंप मचा हुआ है है।
राजधानी धमाके के पीछे का नेटवर्क सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं
सूत्रों के अनुसार, एनआईए और यूपी एटीएस की कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि राजधानी धमाके के पीछे का नेटवर्क सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है। अब पूरा उत्तर प्रदेश सतर्क है और जांच का दायरा और गहरा गया है।इस सनसनीखेज मामले में एजेंसियों की तेज कार्रवाई और जांच की हर नई जानकारी लोगों की सांसें रोक रही है। राजधानी धमाके की साजिश में शामिल यह नेटवर्क अब यूपी में सक्रिय हो गया है, और सुरक्षा एजेंसियां इसे जड़ से उखाड़ने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं।
सहारनपुर: जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियों पर जांच का नया केंद्र
![]() दिल्ली में हाल ही में हुई आतंकवादी घटना के बाद जांच का फोकस अब सहारनपुर की ओर बढ़ गया है। विशेषकर देवबंद क्षेत्र को खुफिया एजेंसियां लगातार मॉनिटर कर रही हैं, क्योंकि यह लंबे समय से कई आतंकी संगठनों के स्लीपिंग माड्यूल्स का गढ़ रहा है। इनमें मसूद अजहर का संगठन, जैश-ए-मोहम्मद, भी शामिल है।मसूद अजहर वर्ष 1994 में देवबंद आया था, और उसके बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जैश की गतिविधियों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई। उस समय से लेकर अब तक कई प्रमुख घटनाओं में देवबंद और सहारनपुर का नाम सामने आया है। 2001 में पुलिस व जैश आंकियों की पहली मुठभेड़ लखनऊ में हुई थी1994 में हापुड़ से तीन विदेशी नागरिकों का अपहरण किया गया, ताकि जेल में बंद आतंकियों को रिहा कराया जा सके। वर्ष 2001 में लखनऊ में यूपी पुलिस और जैश आतंकियों के बीच पहली मुठभेड़ हुई, जिसमें गोमतीनगर इलाके में तीन जैश आतंकियों सलीम उर्फ बाबर, राशिद उर्फ फैजान और सज्जाद उर्फ तलहा को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। उनके पास से दो किलो आरडीएक्स, एक एके-47 और अन्य हथियार बरामद हुए। इसके बाद 2003 में मुजफ्फरनगर में जैश के इजाज हुसैन जान और मेराज हसन को पकड़ा गया। उनके पास संसद भवन का नक्शा और हथियार पाए गए। तीन दिन बाद नोएडा में उनके एक साथी को भी एनकाउंटर में ढेर किया गया। रामजन्मभूमि परिसर में जैश आतंकियों ने हमले का किया था प्रयास5 जुलाई 2005 को अयोध्या के रामजन्मभूमि परिसर में जैश आतंकियों ने हमले का प्रयास किया। हैंडग्रेनेड फेंकते हुए परिसर में प्रवेश करने की कोशिश में पांच आतंकियों को सीआरपीएफ ने मौके पर ही ढेर कर दिया। इस घटना में सहारनपुर निवासी डॉ. इरफान, जम्मू निवासी आसिफ इकबाल उर्फ फारुख, शकील अहमद, पुंछ निवासी मोहम्मद नसीम और मोहम्मद जीम शामिल थे। फरवरी 2019 में एटीएस ने देवबंद के नाज मंजिल छात्रावास से जैश से जुड़े दो कश्मीरी युवकों, शाहनवाज अहमद तेली और आकिब मलिक को गिरफ्तार किया। दोनों युवाओं की भर्ती और बम बनाने के मामलों में सक्रिय थे। उनके खिलाफ एनआईए ने मामला दर्ज किया और उन्हें सात वर्ष की सजा सुनाई गई। 2022 में सहारनपुर से जैश आतंकियों नदीम व हबीबुल किया गया था गिरफ्तारमसूद अजहर के देवबंद आने के दौरान वह दारुल उलूम और कासमी कब्रिस्तान भी गए थे। उनके साथ दो कश्मीरी आतंकी थे और तीनों एक मस्जिद में रुके थे। कुछ समय बाद मसूद को श्रीनगर से गिरफ्तार कर लिया गया। 1999 में विमान हाईजैक के मामले में मसूद समेत कई आतंकियों को रिहा करना पड़ा था। वर्ष 2016 में दिल्ली पुलिस ने देवबंद से 12 संदिग्ध जैश आतंकियों को गिरफ्तार किया। बारामूला निवासी अब्दुल लतीफ मीर और कुपवाड़ा निवासी मोहम्मद अशरफ खटाना को नवंबर 2020 में पकड़ा गया, जिन्होंने पाकिस्तान में आतंकवादी ट्रेनिंग ली थी। अगस्त 2022 में सहारनपुर से जैश आतंकियों नदीम और हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला को गिरफ्तार किया गया, जो युवाओं को जिहाद के लिए ब्रेनवॉश कर रहे थे। |
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