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ब्रजेश पाठका को अखिलेश यादव का करारा जवाब Photograph: (Social Media)
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों डीएनए विवाद सुर्खियों में है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की एक टिप्पणी से शुरू यह विवाद धार्मिक रंग ले चुका है। भाजपा और सपा के बीच सोशल मीडिया पर जारी जुबानी के बीच सोमवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव के नाम लंबी-चौड़ी पोस्ट ने सियासी माहौल और गरमा दिया। वहीं अखिलेश यादव भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी एक पोस्ट के जरिए भाजपा पर तंज कसा और कहा कि उनकी तरफ से अब इस विवाद को यहीं विराम दिया जाएगा।
खाली लोग बात बढ़ाते, कर्मठ आगे बढ़ते
अखिलेश यादव ने इंटरनेट मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि 'खाली बैठे लोग ही बातों को आगे बढ़ाते हैं, जबकि काम करने वाले लोग खुद आगे बढ़ जाते हैं।' चलो हम सब पीडीए मिलकर सकारात्मक राजनीति के मार्ग पर आगे बढ़ें और संकल्प लें कि अपनी पीडीए सरकार बनाएंगे और सामाजिक न्याय का शासन स्थापित करेंगे।
चाटुकारिता करने वाले कुछ सार्थक भूमिका निभाएं
सपा प्रमुख ने आगे लिखा कि जो लोग अपनी ही पार्टी में उपेक्षित हैं, जिनके मंत्रालय विफलता के प्रतीक बन चुके हैं, जो दिनभर निरर्थक चर्चाओं और चाटुकारिता में अपना दिन और समय बिताते हैं, उनसे पुनः आग्रह है कि कुछ सार्थक भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि यदि वे जिस समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह समाज उन्हें एक प्रतिशत भी अपना मानता है, तो उन्हें उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के शासनकाल में उस समाज पर हो रहे अत्याचार और अन्याय के खिलाफ बोलने का साहस दिखाना चाहिए। अगर खुलकर कुछ कहने का साहस नहीं है, तो कम से कम इशारे से ही अपनी बात कहें।
अखिलेश की नसीहत, परिपक्व और शिष्ट बनिए
अखिलेश यादव ने सलाह दी कि परिपक्व बनिए, सौम्य, शिष्टाचारी और मृदुभाषी भी। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों पर भरोसा न करें जो अपनों के भी सगे नहीं हैं। वैसे भी आप तो उनके मूल परिवार का हिस्सा हैं भी नहीं, बाहर से आए हैं। अब भाजपा नेताओं जैसा बोलकर, वैसा ही व्यवहार कर इस माहौल में घुलने-मिलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि अपना राजनीतिक शोषण न होने दें। यदि आपको उन पर कुछ अधिक ही भरोसा है, तो जरा उन लोगों के बारे में सोचिए जो कभी खुद को भाजपा में महत्वपूर्ण समझते थे। और जो मूल रूप से भाजपाई थे, आप की तरह बाहरी भी नहीं थे। आज हैं वो वहाँ, कल आप होंगे जहां।
संकट आए तो हम साथ होंगे
आशा है आप अपने दल में ‘राजनीतिक स्वास्थ्य’ को सुधारने का काम करेंगे। अगर कभी संकट में हों तो हम आपके साथ खड़े रहेंगे। हम जानते हैं वो समय दूर भी नहीं है क्योंकि न तो आप, न ही आपका समाज आज के सत्ताधीश को “भाता है या लुभाता है। आपका समाज उनकी निगाह में दोयम क्या, कभी तियम भी न था और न होगा। आप तो अपनी चहारदीवारी बचाइए और नैतिक बुनियाद भी। वो बचेगी तो आप भी बचे रहेंगे। इस कड़ी का अंतिम पत्र क्योंकि हमें तो जनहित के लिए काम पर निकलना है।