लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
- झूठा शपथ देने वाली सलाहकार कंपनी पर सात दिन बाद भी कार्रवाई नहीं
- राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने की सीएम योगी से हस्तक्षेप की मांग
पूर्वाचल और दक्षिणांचल के 42 जनपदों के निजीकरण (PuVVNL-DVVNL Privatisation) का मसौदा तैयार कर रही सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन (Grant Thornton) के झूठे शपथ पत्र का खुलासा हुए सात दिन हो चुके हैं। पर अभी तक कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। उपभोक्ता परिषद ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। परिषद ने कहा कि एक ओर विधानसभा में ऊर्जा मंत्री विभाग में पारदर्शिता की बात करते हैं। वहीं बिजली निजीकरण से जुड़े भ्रष्टाचार पर चुप्पी साध रखी है। परिषद ने इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है।
ऊर्जा विभाग में भ्रष्टाचार पर डाला जा रहा पर्दा
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UPRVUP) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने आज शक्ति भवन में अधिकारियों के साथ बैठक की। विधानसभा में निजीकरण जनता के हित में बताने वाले ऊर्जा मंत्री बैठक में इस भ्रष्टाचार के गंभीर मुद्दे पर चुप रहते हैं। जबकि उन्हें ग्रांट थार्नटन को ब्लैक लिस्ट और भ्रष्टाचार में शामिल दोषियों पर कार्रवाई का आदेश देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस नीति के तहत काम करने का दावा करती है। वहीं ऊर्जा विभाग में इस बड़े भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी, ऊर्जा मंत्री और प्रधानमंत्री का जनपद भी बिजली के निजीकरण वाले जिलों में शामिल है। झूठा शपथ पत्र देने वाली वाली कंपनी इनकी बिजली व्यवस्था निजी हाथों में देने का मसौदा तैयार करेगी। भविष्य में जब भ्रष्टाचार का खुलासा होगा तो केन्द्र और यूपी सरकार की छवि धूमिल होना तय है।
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सलाहकार कंपनी को बचा रहे अधिकारी
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एंपावर्ड कमेटी ने तय किया था कि टेंडर लेने वाली कंपनी पर तीन साल तक कोई जुर्माना नहीं होना चाहिए। जबकि ग्रांट थार्नटन के ऊपर 2024 में अमेरिका में 40 हजार डॉलर का जुर्माना लगा था। इस तथ्य को छिपाकर कंपनी ने यूपी में ट्रांजेक्शन एडवाइजर का टेंडर हासिल कर लिया। उपभोक्ता परिषद की शिकायत पर पावर कारपोरेशन ने इस कंपनी से दो बार स्पष्टीकरण मांगा। कंपनी ने जवाब देकर स्वीकार किया कि उसके ऊपर जुर्माना लगाया गया था। लेकिन सात दिन बाद भी कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। वर्मा ने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारी सलाहकार कंपनी को बचाने में लगे हैं।