Advertisment

Electricity Privatisation : दागी कंपनी को बचाने में UPPCL लगा रहा एड़ी-चोटी का जोर, कार्रवाई के बजाय कर रहा पैरोकारी

Electricity Privatisation: राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की प्रकिया चल रही रही है तो उसके सदस्यों के साथ बैठक करने का कोई औचित्य नहीं है। 

author-image
Deepak Yadav
electricity privatisation two discoms

पावर कारपोरेशन पर दागी सलाहकार कंपनी को बचाने का आरोप Photograph: (YBN)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। झूठे शपथ मामले का खुलासा होने के बाद सलाहकार कंपनी ग्रांट थानर्टन (Grant Thornton) पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। वहीं, उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि पावर कारपोरेशन (Power Corporation) प्रबंधन दागी कंपनी को बचाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। कंपनी को काली सूची में डालने के बजाय उसकी पैरोकारी की जा रही है।

जालसाज कंपनी से बैठक क्यों?

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखकर ग्रांट थार्नटन कंपनी के पांच सदस्यों के साथ बैठक करने को कहा था। यह बैठक दो मई को प्रस्तावित है। इसकी भनक लगते ही उपभोक्ता परिषद ने तत्काल विद्युत नियामक आयोग को लोक महत्व प्रस्ताव भेजकर कहा कि जिस सलाहकार कंपनी को टेंडर मूल्यांकन समिति की बैठक में काली सूची में डालने की तैयारी थी। अब उसी कंपनी को बचाने के लिए उसके पूरे मसौदे को विद्युत नियामक आयोग के सामने पेश कर संवैधानिक आवरण चढ़ाने की कोशिश की जा रही है।

यह भी पढ़ें- Electricity Privatisation : झूठे शपथ पत्र मामले में सलाहकार कंपनी की उल्टी गिनती शुरू, आरए जल्द लेगा आखिरी फैसला

नियामक आयोग आने को मामले से रखे दूर

अवधेश वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में इस मामले से अपने को दूर रखना चाहिए, क्योंकि आयोग उपभोक्ताओं के हितों के लिए काम करने वाली सर्वोच्च संस्था है। उन्होंने कहा कि जब पावर कारपोरेशन ने अभी तक नियामक आयोग को इस मामले की जानकारी नहीं दी। तो फिर वह जालसाजी से काम हासिल करने वाली सलाहकार कंपनी के सदस्यों से बैठक करने के लिए आयोग को पत्र कैसे भेज सकता है।

काली सूची की ओर बढ़ती कंपनी को संरक्षण

Advertisment

परिषद अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि टेंडर मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष एवं निदेशक (वित्त) निधि कुमार नारंग ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन के दबाव में आकर कंपनी की फाइल पर पुनः टिप्पणी करते हुए उसे वापस लौटा दिया। वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग की बैठक के बाद यह तर्क दिया जाएगा कि पूरे मालमे की समीक्षा आयोग का चुका है। अब कार्रवाई की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की प्रकिया चल रही रही है तो उसके सदस्यों के साथ बैठक करने का कोई औचित्य नहीं है। 

Advertisment
Advertisment