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योगी सरकार की विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं अपराधियों को दिला रहीं सख्त सजा

साल 2017 से पहले साक्ष्यों के अभाव में बरी हो जाते थे दुर्दांत माफिया। पिछले आठ साल में 75 हजार से अधिक अपराधियों को साक्ष्य के आधार पर सलाखों के पीछे धकेला।

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Vivek Srivastav
अपराधियों को सजा

विधि विज्ञान प्रयोगशाला Photograph: (सोशल मीडिया)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता : योगी सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाने और दोषियों को कठोर सजा दिलाने की दिशा कई बड़े कदम उठाए हैं। इसी के तहत प्रदेश में पिछले आठ वर्षों में अपराधियों को साक्ष्य के जरिये कठोर से कठोर सजा दिलाने के लिए अत्याधुनिक विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं को निर्माण किया। इसके जरिये पिछले आठ वर्षों में योगी सरकार ने 75 हजार से अधिक अपराधियों को साक्ष्यों के आधार पर कठोर सजा दिलायी है। वहीं वर्ष 2017 से साक्ष्य के अभाव में दुर्दांत अपराधी और माफिया बरी हो जाते थे, अब अत्याधुनिक विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं से अभियोजन पक्ष को मजबूत आधार मिल रहा है, जिससे अपराधियों को सजा दिलाने में उल्लेखनीय सफलता मिल रही है।

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2017 से पहले सिर्फ 4 लैब, अब 12 सक्रिय, 6 और जल्द मिलेंगी

प्रदेश में वर्ष 2017 से पहले केवल 4 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं (लखनऊ, वाराणसी, आगरा, गाजियाबाद) थीं, जिससे सीमित जिलों को ही वैज्ञानिक परीक्षण की सुविधा मिल पाती थी। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस दिशा में तेजी से काम हुआ है। बीते अाठ वर्षों में 8 नए जिलों (झांसी, कन्नौज, प्रयागराज, गोरखपुर, बरेली, गोंडा, अलीगढ़ व मुरादाबाद) में प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं, जिससे अब इनकी संख्या 12 हो गई है। इसके अलावा अयोध्या, बरेली, बांदा, आजमगढ़, मीरजापुर और सहारनपुर में 6 नई प्रयोगशालाओं की स्थापना दिशा में युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है, जो जल्द ही शुरू हो जाएंगी। सीएम योगी के प्रयासों से प्रदेश की विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के कार्यों में तेजी का सीधा असर अभियोजन पर भी पड़ा है। वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में प्रयोगशालाओं द्वारा अधिक मामलों का निस्तारण किया गया, जिससे अभियोजन पक्ष को अपराधियों को सजा दिलाने में मजबूती मिली।

NAFIS प्रणाली में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर

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योगी सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कई नये कीर्तिमान भी स्थापित किये हैं। इसके जरिये प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। NATIONAL AUTOMATED FINGER PRINT IDENTIFICATION SYSTEM (NAFIS) के तहत अंगुली छाप डाटाबेस को राज्य स्तर पर हाईस्पीड सर्वर से जोड़ा गया है। एनसीआरबी, नई दिल्ली के अनुसार अंगुली छाप इनरोलमेंट में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। अब तक 4,14,473 अंगुली छापों का सफलतापूर्वक पंजीकरण किया जा चुका है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि किस प्रकार प्रदेश ने अपराधियों के खिलाफ सबूत जुटाने और उनके डिजिटल रिकॉर्ड को एकत्र करने में तकनीकी दक्षता हासिल की है। इससे अभियानों में तेज़ी और अपराध नियंत्रण में स्पष्ट सफलता मिली है। NAFIS के संचालन के लिए योगी सरकार ने केंद्र से समन्वय स्थापित कर एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया है। प्रदेश स्तर पर स्थापित सर्वर के ज़रिए सभी जिलों से वास्तविक समय में अंगुली छापों का विश्लेषण संभव हो रहा है। इसके लिए अधिकारियों व तकनीकी स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है। वहीं, बॉयोलॉजिकल नमूनों के विश्लेषण के लिए नई तकनीकों को अपनाया गया है, जिनमें BNS, BNSS और BSA-2023 के मानकों के अनुसार अनुसंधान किया जा रहा है। इससे साक्ष्य की वैधता और विश्वसनीयता में वृद्धि हुई है।

तकनीकी सहायता और वैज्ञानिक साक्ष्य से अपराधी हुए ढेर

योगी सरकार स्थापित की गई नयी प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों द्वारा लगातार रिसर्च और परीक्षण किए जा रहे हैं, जिससे न्याय प्रणाली को त्वरित और तथ्यपरक निर्णय लेने में मदद मिल रही है। इसमें हत्या, बलात्कार, चोरी, साइबर क्राइम जैसे मामलों में वैज्ञानिक साक्ष्य अभियोजन के लिए निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति तभी सफल हो सकती है जब तकनीकी सहायता और वैज्ञानिक साक्ष्य मजबूत हों। इस उद्देश्य से प्रदेश में विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं का नेटवर्क न केवल विस्तृत किया गया है, बल्कि उन्हें अत्याधुनिक उपकरणों और कुशल जनशक्ति से भी लैस किया गया है। विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के आधुनिकीकरण और विस्तार ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को नई मजबूती दी है। अब अपराधियों को सजा दिलाने में जहां तेजी आई है, वहीं न्यायिक प्रक्रिया भी अधिक तथ्यपरक और प्रभावी हो गई है। योगी सरकार के इस प्रयास से न केवल अपराध पर लगाम लगी है, बल्कि जनता में कानून के प्रति विश्वास भी बढ़ा है।

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