लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश के हर जिले में कम से कम दो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को नौकरी दी जाएगी। इनकी नियुक्ति ड्राइवर, शिक्षक, रसोइया और सुरक्षाकर्मी जैसे पदों पर की जाएगी।
यह जानकारी समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने दी। वह गोरखपुर स्थित गरिमा गृह की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह केंद्र राज्य का पहला ऐसा संस्थान है जो ट्रांसजेंडर समुदाय के पुनर्वास और आत्मनिर्भरता का मॉडल सेंटर बन गया है। मंत्री अरुण ने बताया कि गरिमा गृह में ट्रांसजेंडरों को आवास, प्रशिक्षण और मानसिक सहयोग जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं, जिससे वह स्वावलंबी बनकर समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकें। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल सहायता नहीं, बल्कि सम्मानजनक आजीविका का अवसर प्रदान करना है।
क्या कहते हैं टांसजेंडर
ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता कविता राणा कहती हैं। यह पहल बदलाव की शुरुआत है। हमें अब समाज से व्यवहारिक समर्थन चाहिए, सिर्फ नीति नहीं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आत्मनिर्भरता और सम्मान की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह साबित करती है कि जब नीति में संवेदनशीलता हो तो समाज में वास्तविक परिवर्तन संभव है।
2014 में भारत में मिली ट्रांसजेंडरों को थर्ड जेंडर की मान्यता
भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय को 2014 में थर्ड जेंडर के रूप में संवैधानिक मान्यता मिली थी। बावजूद इसके, रोजगार और सामाजिक स्वीकार्यता की कमी बनी हुई है। इस सरकारी पहल से इस समुदाय को नया आत्मबल मिलेगा।
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