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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत सूबे में अवैध खनन का कारोबार तेजी से फलफूल रहा है, क्योंकि चाहे सड़क निर्माण हो या भवन निर्माण। सभी के निर्माण में रेता, मोरंग, व मिट्टी की जरूरत पड़ती है। हालांकि सरकार अवैध खनन को रोकने के दावे तो करती है। मगर स्थानीय थानों के सरंक्षण में अवैध खनन का कारोबार जोरों पर है।
लखनऊ के बख्शी का तालाब (बीकेटी) थाना क्षेत्र के अचरामऊ गांव में अवैध मिट्टी खनन का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि स्थानीय क्षेत्र में कई दिनों से मिट्टी का अवैध खनन कर ऊंचे दामों पर उसकी बिक्री की जा रही थी। इस सूचना पर बीकेटी थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मौके पर दबिश दी और खनन में लगे दो ट्रैक्टर-ट्राली और एक लोडर वाहन को जब्त कर लिया। ये सभी वाहन मिट्टी की ढुलाई में प्रयुक्त हो रहे थे। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह खनन कुछ प्रभावशाली लोगों की शह पर लंबे समय से चल रहा था, जिससे गांव के पर्यावरण और भूमि संरचना को नुकसान पहुंच रहा था।
बाराबंकी जनपद के मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र की बेलहरा चौकी अंतर्गत कैथा भुन्ड गांव में अवैध मिट्टी खनन का खेल वर्षों से बेधड़क जारी है। यह इलाका अब खनन माफियाओं के गढ़ के रूप में चर्चित होता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, खनन माफिया सुनियोजित तरीके से प्रशासनिक नियमों का दुरुपयोग करते हुए किसी किसान के नाम पर "व्यक्तिगत उपयोग" के लिए मिट्टी खनन की परमिशन प्राप्त करते हैं, लेकिन वास्तविकता में उस परमिशन की आड़ में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक खनन किया जाता है। निकाली गई मिट्टी को स्थानीय निर्माण कार्यों या ईंट-भट्टों को ऊंचे दामों पर बेचा जाता है, जिससे माफिया को मोटा मुनाफा होता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस गोरखधंधे में पुलिस की मिलीभगत भी साफ दिखाई देती है। चौकी स्तर पर आंख मूंद कर खनन को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे माफियाओं को खुली छूट मिल रही है।
चित्रकूट जनपद की राजापुर तहसील के अंतर्गत आने वाले व्यास बन्ना गांव में अवैध रूप से जेसीबी मशीन से मिट्टी की खुदाई किए जाने का मामला सामने आया है। जैसे ही इस गतिविधि की सूचना प्रशासन को मिली, एसडीएम राजापुर ने तत्काल मौके पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पुलिस बल भी मौजूद था। अधिकारियों को आता देख खनन कार्य में लगे मजदूर और चालक मौके पर खड़ी जेसीबी मशीन व ट्रैक्टर को छोड़कर भाग निकले। एसडीएम ने तत्काल दोनों वाहनों को कब्जे में लेकर उन्हें रैपुरा थाना पुलिस को सुपुर्द कर दिया।
कुशीनगर जिले के चौरा खास और पटहेरवा थाना क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन लगातार जारी है। क्षेत्रीय सूत्रों के अनुसार, बिना किसी परमिट के जेसीबी मशीनों से प्रतिदिन करीब 50 ट्राली मिट्टी की खुदाई की जा रही है। यह खनन खुलेआम हो रहा है, मानो स्थानीय प्रशासन के आदेशों का कोई डर ही न हो। स्थानीय किसानों का कहना है कि इस अवैध खनन से उनकी उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे कट रही है और खेतों की संरचना बिगड़ रही है। कई किसान खनन माफियाओं के प्रभाव और दबदबे के कारण शिकायत करने से भी डरते हैं। वे बताते हैं कि शिकायत करने वालों को या तो धमकाया जाता है या फिर अनदेखी कर दी जाती है। गौरतलब है कि जिलाधिकारी कुशीनगर ने हाल ही में सभी उपजिलाधिकारियों और थानाध्यक्षों को अवैध खनन रोकने के निर्देश दिए थे। आदेशों में स्पष्ट रूप से कार्रवाई करने की बात कही गई थी, लेकिन जमीनी स्तर पर इन आदेशों का कोई असर नहीं दिख रहा है। न तो खनन रुका है और न ही किसी पर कठोर कार्रवाई हुई है।
चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन को लेकर एक नया मामला सामने आया है। हेतमपुर गांव में 15 मई को अवैध खनन की सूचना मिलने पर क्षेत्रीय लेखपाल विजय कुमार जायसवाल मौके पर पहुंचे और तत्काल खनन कार्य को रुकवाते हुए जेसीबी मशीनों की तस्वीरें खींचीं। हालांकि, लेखपाल की इस कार्रवाई से नाराज़ इकबालपुर निवासी प्रदीप सिंह ने लेखपाल को फोन पर न केवल अपशब्द कहे, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी। यह घटना प्रशासनिक अधिकारियों पर लगातार बढ़ रहे खनन माफिया के दबाव और धमकी भरे रवैये को उजागर करती है। लेखपाल ने इस संबंध में उचित विभागीय और पुलिस अधिकारियों को सूचना दे दी है, और अब इस मामले में आपराधिक धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की जा रही है।
रामपुर जिले की स्वार तहसील में अवैध खनन अब स्थानीय लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन चुका है। केशो नगली से होकर गुजरने वाली एकमात्र सड़क, जो छह गांवों को जोड़ती है, पर दिन-रात जेसीबी मशीन और डंपरों की आवाजाही जारी है। खनन माफिया इस मार्ग का उपयोग कर अवैध रूप से खनित सामग्री उत्तराखंड तक पहुंचा रहे हैं, जिससे सड़क के साथ-साथ कई पुलिया भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। अब यह रास्ता स्कूली बच्चों, मरीजों, ग्रामीणों और यहां स्थित गुरुद्वारे में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक जद्दोजहद बन गया है।
यह स्थिति साफ दर्शाती है कि खनन माफियाओं को न केवल प्रशासन का भय नहीं, बल्कि वे स्थानीय विरोध को भी दबाने में सक्षम हैं। जान से मारने की धमकी देना अब आम बात हो गई है, और प्रशासन की निष्क्रियता ने इन गतिविधियों को और बढ़ावा दिया है।
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