लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. दुर्गेश कुमार द्विवेदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। डॉ. द्विवेदी इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर मैग्नेटिक रेजोनेंस इन मेडिसिन (ISMRM) के वार्षिक सम्मेलन में पूरा सत्र आयोजित करने वाले पहले भारतीय बने हैं। यह सम्मेलन 10 से 15 मई 2025 के बीच होनोलूलू, हवाई में आयोजित हुआ। इसमें विश्व भर से छह हजार से अधिक रेडियोलॉजिस्ट और एमआरआई वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। 13 मई को आयोजित सत्र में 'क्वांटम कम्प्यूटिंग इन मेडिकल डायग्नोसिस: रिवॉल्यूशनाइजिंग एमआरआई एप्लिकेशन्स' पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी क्वांटम कंप्यूटिंग पर देश में और शोध कार्य पर जोर देनी की बात कही है। साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र निवेश को बढ़ाया है।
क्वांटम MRI से चिकित्सा प्रौद्योगिकी में खुलेंगे नए क्षितिज
केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि यह उपलब्धि चिकित्सा प्रौद्योगिकी में नए क्षितिज खोलती है। क्वांटम एमआरआई का कमजोर आबादी के लिए वरदान है। डॉ. द्विवेदी के दूरदर्शी कार्य सराहनीय है। यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। जो एक ऐसे भविष्य का वादा करता है, जहां क्वांटम कम्प्यूटिंग और डीप लर्निंग के साथ एकीकृत एमआरआई अधिक सटीक, सुलभ और विश्व स्तर पर मरीजों के लिए प्रभावशाली होगा। संस्थान के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख प्रो. अनित परिहार ने कहा कि आईएसएमआरएम में डॉ. द्विवेदी का नेतृत्व विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। क्वांटम वर्धित एमआरआई में उनके योगदान नवाचार में नया मानक स्थापित करते हैं।
क्वांटम क्रिप्टोग्राफी से मरीज का डेटा होगा सुरक्षित
डॉ. द्विवेदी ने सत्र में कहा कि क्वांटम एल्गोरिदम स्कैन समय को कम कर सकते हैं। छवि गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। कम आया आय वाले देशों (LMICs) में एमआरआई सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं। क्वांटम क्रिप्टोग्राफी से मरीजों के डेटा को और सुरक्षित रखा जा सकता है। यह तकनीक विशेष रूप से डिफ्यूजन एमआरआई और विभिन्न प्रकार के कैंसर, जैसे मस्तिष्क ट्यूमर और प्रोस्टेट कैंसर में एमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी से प्राप्त चिकित्सीय जानकारी की सुरक्षा के लिए मददगार साबित होगी।
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