लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने कानपुर में दबंगों से परेशान कुर्मी समाज के पलायन को लेकर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी राज में बहुजन समाज की कोई सुनवाई नहीं हो रही है और उन्हें मजबूरी में अपना घर और राज्य छोड़ना पड़ रहा है।
योगी राज में बहुजनों की सुनवाई नहीं
भीम आर्मी भारत एकता मिशन के संस्थापक चंद्रशेखर ने रविवार को एक्स पर पीड़ित परिवारों का वीडियो पोस्ट कर लिखा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में बहुजनों की कोई सुनवाई नहीं होती। कानपुर जिले की बिल्हौर तहसील के अरोल खासपुर गांव में कुर्मी समाज के लगभग 35 परिवार अपनी जमीन-जायदाद बेचकर दूसरे राज्य में पलायन को मजबूर हैं। यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि यह शासन-प्रशासन की विफलता और सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की उदासीनता का घातक उदाहरण है।
यह कैसा रामराज्य
सांसद चंद्रशेखर आजाद ने आगे लिखा कि बाबा साहेब के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है। फिर इन बहुजन परिवारों को अपना घर-द्वार और राज्य छोड़ने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? इन परिवारों की पुकार को न तो प्रशासन सुन रहा है और न ही सरकार। हम मुख्यमंत्री से पूछना चाहते हैं, यह कैसा रामराज्य है आपका। जहां बहुजन पलायन को मजबूर है? क्या कुर्मी समाज का दर्द आपके लिए कोई मायने नहीं रखता?
दबंगों पर सख्त कार्रवाई की मांग
चंद्रशेखर आजाद ने सरकार से मांग की कि अरोल खासपुर गांव के पीड़ित परिवारों को तत्काल राज्य संरक्षण दिया जाए। पलायन के लिए मजबूर करने वालों के खिलाफ BNSS की सख्त धाराओं में FIR दर्ज कर तुरंत गिरफ्तारी की जाए। गांव में पर्याप्त फोर्स की तैनाती कर प्रशासन द्वारा स्थिति को सामान्य बनाया जाए। जिला प्रशासन और पुलिस की लापरवाही की जांच कर जवाबदेही तय हो। बहुजन समाज का यह अपमान अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ये है पूरा मामला
अरोल खासपुर गांव में 24 मई की रात पूर्व प्रधान अशोक कटिहार पर हुए हमले के बाद से गांव में दहशत का माहौल है। कुर्मी समाज के करीब 35 परिवार दबंगों की धमकियों और हिंसा से परेशान हैं। पीड़ितों का कहना है कि दबंग कई ग्रामीणों पर हमले कर चुके हैं। उन पर कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। बावजूद इसके दंबगों को पुलिस का कोई डर नहीं है। दबंगों ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर रास्ता बंद कर दिया है। घर से निकलने पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है। पुलिस और प्रशासन इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है। ऐसे हालात में पीड़ित परिवार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अब उनके पास गांव से पलायन करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।
यह भी पढ़ें- दरबारी कला में झूठा बखान : Akhilesh Yadav ने BJP पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- लोक कलाकारों का...
यह भी पढ़ें : बिजली निजीकरण के विरोध में 22 जून को लखनऊ में महापंचायत, संघर्ष समिति ने UPPCL से पूछे पांच सवाल
यह भी पढ़ें : UP News: 'त्रिवेणी वन' बसाकर महाकुंभ की स्मृति को ताजा रखेगी योगी सरकार
यह भी पढ़ें : पीलीभीत टाइगर रिजर्व की ईडीसी के जरिये युवाओं को मिला रोजगार