लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
राजाधानी के बालागंज इलाके में आज सुबह-सुबह जैसे ही यह खबर पहुंची कि एक ही परिवार के पांच लोगों की राजस्थान के जयपुर के पास सड़क हादसे में मौत हो गई है, पूरा मोहल्ला सन्नाटे में डूब गया। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि जो परिवार कल तक साथ हंस-बोल रहा था, आज उसकी सिर्फ यादें ही रह गई हैं। उनके घर की दीवारें आज सिर्फ रोने की आवाज़ें सुन रही हैं। परिवार के लोगों के मुंह से यही शब्द निकल रहा कि मेर घर सूना हो गया, परिवार गया था खाटूश्याम का दर्शन करने और हादसे ने छीन ली उनकी जिंदगियां।
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सपनों की यात्रा, अंतिम यात्रा बन गई
यह परिवार अपनी कार (UP 32 ES 8766) से खाटूश्याम जी के दर्शन को जा रहा था। सुबह करीब 8 बजे दौसा की ओर से आ रही कार जैसे ही नेकावाला टोल के पास पहुंची, सामने से आ रहे ट्रेलर से आमने-सामने की टक्कर हो गई। भिड़ंत इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेलर भी सड़क से उतरकर पलट गया और कार के परखच्चे उड़ गए। पुलिस और स्थानीय लोगों ने घंटों की मशक्कत के बाद शवों को बाहर निकाला। जिनकी पहचान लखनऊ के बालागंज निवासी सत्य प्रकाश (60), उनकी पत्नी रामा देवी (55), बेटा अभिषेक (35), बहू प्रियांशी (30) और छह महीने की पोती के रूप में हुई। इसके बाद जयपुर की पुलिस ने परिजनों को सूचित किया।
कल ही तो बात हुई थी… मोहल्ले में पसरा मातम
जब ठाकुरगंज पुलिस ने परिजनों को खबर दी, तब बालागंज की गलियों में सन्नाटा पसर गया। पड़ोसी और रिश्तेदार कुछ समझ नहीं पा रहे थे। एक पड़ोसी ने रोते हुए कहा, “अभी कल ही रामा देवी ने बताया था कि पहली बार पोती और बहू को लेकर खाटू जाएंगी… कौन जानता था कि वो पहली यात्रा आखिरी बन जाएगी।”छह महीने की मासूम, जिसने अभी दुनिया को ठीक से देखना भी शुरू नहीं किया था, उसकी जिंदगी भी इस हादसे में खत्म हो गई। मोहल्ले की महिलाओं की आंखें नम हैं, हर जुबान पर एक ही सवाल—“ईश्वर इतना बेरहम कैसे हो सकता है?”ठाकुरगंज के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि शवों को जयपुर से लखनऊ लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शव का पोस्टमार्टम वहीं चल रहा है,सोमवार सुबह तक शव आने की उम्मीद है।
जन्मदिन में शामिल होने के लिए बेटी के घर गया था परिवार
परिजनों ने बताया कि सत्यप्रकाश अपनी बेटी शिम्बल के बेटे के जन्मदिन में शामिल होने के लिए मैनपुरी पत्नी और बहू और छह महीने के पोती के साथ बड़े बेटा का कार लेकर गये। मैनपुरी में ही उनका छोटा बेटा अभिषेक भी आ गया। अभिषेक एचसीएल में इंजीनियर था और दिल्ली में मीटिंग पर गया था। मैनपुरी में ही खातू श्याम दर्शन करने का प्लान बना। एक गाड़ी पर उनकी बेटी का परिवार और दूसरी गाड़ी में सत्यप्रकाश का परिवार बैठ गया और रास्ते में हादसा होने के बाद बेटी ने फोन करके घर पर बड़े भाई हिंमाशु को सूचित किया।
अभिषेक की पत्नी प्रियांशी बैंक मैनेजर थी, छुट्टी के चलते गई थी साथ
बता दें कि सत्यप्रकाश के परिवार में अब केवल उनका बड़ा बेटा हिंमाशु उसकी पत्नी और पांच साल का उनका बेटा बचा है। अभिषेक की पत्नी प्रियांशी बैंक में मैनेजर थी। छुट्टी होने के कारण वह भी बेटी लेकर साथ चलीं गईं थीं। सत्यप्रकाश के पांच भाई है जो अलग रहते हैं, सभी घटना स्थल पर चले गए हैं, घर पर सन्नाटा पसरा हुआ है।