Advertisment

Electricity Privatisation : पुरुषोत्तम अग्रवाल ने वित्त निदेशक का पद संभालने से किया इनकार, दोषी टीए को क्लीन चिट देने की तैयारी

Electricity Privatisation : पुरुषोत्तम अग्रवाल ने पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त का पद संभालने से इनकार कर दिया है। इससे पहले दक्षिणांचल निगम के निदेशक ज्ञानेन्द्र अग्रवाल ने कार्यभार ग्रहण करने से मना कर दिया था।

author-image
Deepak Yadav
electricity privatisation director

पुरुषोत्तम अग्रवाल ने वित्त निदेशक का पद संभालने से किया इनकार Photograph: (YBN)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों की बिजली के निजीकरण को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पुरुषोत्तम अग्रवाल ने पावर कारपोरेशन (Power Corporation) के निदेशक वित्त का पद संभालने से इनकार कर दिया है। इससे पहले दक्षिणांचल निगम के निदेशक ज्ञानेन्द्र अग्रवाल ने कार्यभार ग्रहण करने से मना कर दिया था। पुरुषोत्तम के चार्ज न लेने से मौजूदा निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग के ही पद पर रहने की संभावना जताई जा रही है। नारंग निजीकरण संबंधी टेंडर मूल्यांकन कमेठी के अध्यक्ष भी हैं।

Advertisment

ऊर्जा संगठनों ने पावर कॉरपोरेशन को घेरा

ऊर्जा विभाग की ओर से 17 अप्रैल को 9​ निदेशकों का चयन किया गया था चयन प्रक्रिया के तहत 10 अप्रैल को पुरुषोत्तम अग्रवाल निदेशक वित्त बनाए गए थे, उनके ज्वाइन करने का इंतजार किया जा रहा था। निदेशकों के कामकाज संभालने से इनकार पर ऊजा संगठनों ने पावर कारपोरेशन को घेरा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि जिस तरह से निजीकरण की प्रक्रिया के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइजर (टीए) ग्रांट थार्नटन कंपनी के चयन को लेकर विवाद चल रहा है, उसको देखते हुए ही विधिवत चयन के बावजूद पुरुषोत्तम निदेशक वित्त का पदभार नहीं संभाल रहे हैं। वैसे तो नए निदेशक के ज्वाइन करते ही मौजूदा निदेशक वित्त नारंग को कुर्सी छोड़नी पड़ती लेकिन अब पुरुषोत्तम के कार्यभार न संभालने से माना जा रहा है कि नारंग को ही सरकार इस पद पर बनाए रख सकती है। 

यह भी पढ़ें-  UP Electricity Crisis : घटिया एबीसी केबल खरीदने का खामियाजा भुगत रहे उपाभोक्ता, बिजली की मांग का बनेगा नया रिकार्ड

Advertisment

ग्रांट थॉर्नटन को क्लीन चिट देने की तैयारी

अवधेश वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स में बिडिंग डॉक्यूमेंट के मसौदे को विद्युत नियामक आयोग में भेजे जाने के पहले ग्रांट थॉर्नटन कंपनी दोष मुक्त करने में बड़े-बड़े विशेषज्ञ लगे हैं। चूंकि जब तक कंसलटेंट कंपनी दोष मुक्त नहीं होगी उसके मसौदे पर विद्युत नियामक आयोग को विचार करने में सबसे बड़ी विधिक अड़चन आएगी। वर्मा ने कहा कि झूठे शपथ पत्र का खुलासा होने पर सलाहकार कंपनी को काली सूची में डालने के बजाश्य उसे डेढ़ माह से बचाया जा रहा है। यह पूरा मामला प्रदेश सरकार के संज्ञान में है। कंपनी के सदस्य टाटा और अडानी के साथ काम कर रहे हैं। यही दोनों निजी कंपनियां भविष्य में निजीकरण का टेंडर लेने वाली हैं। इसलिए टीए को बचाया जा रहा है। 

Advertisment
Advertisment