लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों की बिजली के निजीकरण को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पुरुषोत्तम अग्रवाल ने पावर कारपोरेशन (Power Corporation) के निदेशक वित्त का पद संभालने से इनकार कर दिया है। इससे पहले दक्षिणांचल निगम के निदेशक ज्ञानेन्द्र अग्रवाल ने कार्यभार ग्रहण करने से मना कर दिया था। पुरुषोत्तम के चार्ज न लेने से मौजूदा निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग के ही पद पर रहने की संभावना जताई जा रही है। नारंग निजीकरण संबंधी टेंडर मूल्यांकन कमेठी के अध्यक्ष भी हैं।
ऊर्जा संगठनों ने पावर कॉरपोरेशन को घेरा
ऊर्जा विभाग की ओर से 17 अप्रैल को 9 निदेशकों का चयन किया गया था चयन प्रक्रिया के तहत 10 अप्रैल को पुरुषोत्तम अग्रवाल निदेशक वित्त बनाए गए थे, उनके ज्वाइन करने का इंतजार किया जा रहा था। निदेशकों के कामकाज संभालने से इनकार पर ऊजा संगठनों ने पावर कारपोरेशन को घेरा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि जिस तरह से निजीकरण की प्रक्रिया के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइजर (टीए) ग्रांट थार्नटन कंपनी के चयन को लेकर विवाद चल रहा है, उसको देखते हुए ही विधिवत चयन के बावजूद पुरुषोत्तम निदेशक वित्त का पदभार नहीं संभाल रहे हैं। वैसे तो नए निदेशक के ज्वाइन करते ही मौजूदा निदेशक वित्त नारंग को कुर्सी छोड़नी पड़ती लेकिन अब पुरुषोत्तम के कार्यभार न संभालने से माना जा रहा है कि नारंग को ही सरकार इस पद पर बनाए रख सकती है।
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ग्रांट थॉर्नटन को क्लीन चिट देने की तैयारी
अवधेश वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स में बिडिंग डॉक्यूमेंट के मसौदे को विद्युत नियामक आयोग में भेजे जाने के पहले ग्रांट थॉर्नटन कंपनी दोष मुक्त करने में बड़े-बड़े विशेषज्ञ लगे हैं। चूंकि जब तक कंसलटेंट कंपनी दोष मुक्त नहीं होगी उसके मसौदे पर विद्युत नियामक आयोग को विचार करने में सबसे बड़ी विधिक अड़चन आएगी। वर्मा ने कहा कि झूठे शपथ पत्र का खुलासा होने पर सलाहकार कंपनी को काली सूची में डालने के बजाश्य उसे डेढ़ माह से बचाया जा रहा है। यह पूरा मामला प्रदेश सरकार के संज्ञान में है। कंपनी के सदस्य टाटा और अडानी के साथ काम कर रहे हैं। यही दोनों निजी कंपनियां भविष्य में निजीकरण का टेंडर लेने वाली हैं। इसलिए टीए को बचाया जा रहा है।