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BBAU प्रोफेसर की शर्मनाक हरकत : रिसर्च स्कॉलर ने लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप, कुलपति से न्याय की मांग

पीड़ित ने दावा किया है कि वह यह शिकायत विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अश्वनी कुमार सिंह और डीन एकेडमिक प्रो. विक्टर बाबू तक भी ले गया, लेकिन उनकी ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

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Abhishek Mishra
BBAU

BBAU प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (BBAU) में एक रिसर्च स्कॉलर ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर अपने विभागाध्यक्ष और डीन प्रो राजेश कुमार पर यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित छात्र ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आरके मित्तल को भेजे ईमेल में न्याय की गुहार लगाते हुए लिखा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वह आत्महत्या करने को मजबूर होगा।

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छात्र ने बताया कि वह एनवायरनमेंटल माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शोध कर रहा है और पिछले एक वर्ष से अधिक समय से विभागाध्यक्ष द्वारा मानसिक और यौन शोषण का शिकार हो रहा है। छात्र का आरोप है कि जब भी वह शैक्षणिक कार्य से संबंधित बातचीत के लिए उनके कक्ष में जाता था, प्रो. राजेश अकेले में उसे अश्लील वीडियो दिखाने की कोशिश करते थे।

कई बार की शिकायत, नहीं हुई कोई सुनवाई

पीड़ित ने दावा किया है कि वह यह शिकायत विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अश्वनी कुमार सिंह और डीन एकेडमिक प्रो. विक्टर बाबू तक भी ले गया, लेकिन उनकी ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। छात्र के अनुसार, रजिस्ट्रार और आरोपी प्रोफेसर के बीच करीबी संबंध हैं, जिसकी वजह से मामले को दबाने की कोशिश हो रही है। छात्र ने कुलपति को लिखे पत्र में यह भी कहा कि वह मेधावी छात्र है और एमएससी, CSIR-NET, ICAR-NET और GATE की परीक्षाओं में सफलता हासिल कर चुका है, साथ ही गोल्ड मेडलिस्ट भी है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों ने उसे मानसिक रूप से टूटने पर मजबूर कर दिया है।

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ICC को सौंपा गया मामला

इस प्रकरण को लेकर डीन एकेडमिक प्रो. विक्टर बाबू ने कहा कि मामला कुलपति के संज्ञान में है और इसे विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) को भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह मामला कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़ा है और समिति निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई करेगी।

प्रोफेसर ने आरोपों को बताया साजिश

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दूसरी ओर, प्रो. राजेश कुमार ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि वह छात्र के गाइड नहीं हैं और छात्र बिना गाइड के शोध कार्य कर रहा है क्योंकि उसके पहले गाइड पंकज कुमार अरोड़ा अब विश्वविद्यालय में नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि शिकायत एक साजिश के तहत की गई है और इसका उद्देश्य उन्हें बदनाम करना है।

प्रो. राजेश के अनुसार, उन्होंने छात्र की कई बार मदद की है और बिना प्रोग्रेस रिपोर्ट के भी उसकी फैलोशिप के कागजों पर दस्तखत किए हैं। हाल ही में जब छात्र को चेतावनी पत्र जारी किया गया, तो उसके बाद ये आरोप सामने आए। उन्होंने कहा की मेरे 25 वर्षों के करियर में कभी भी ऐसा कोई आरोप नहीं लगा। ये पूरी तरह से बेबुनियाद और द्वेषपूर्ण प्रयास है।

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