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Cyber ​​Crime :ऑनलाइन जालसाजी के जाल में फंसते लोग, हनी ट्रैप से लेकर ट्रेडिंग फ्रॉड तक, हर कोई बन सकता है शिकार

लखनऊ में तीन बड़े ऑनलाइन फ्रॉड के मामले सामने आए हैं। पहले केस में डॉक्टर को सोशल मीडिया पर फंसाकर अश्लील वीडियो के जरिए ब्लैकमेल किया । दूसरे केस में अधिकारी से फर्जी ट्रेडिंग क्लब के नाम पर तीसरे केस में कारोबारी के साथ ट्रेडिंग के नाम पर ठगी की गई।

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Shishir Patel
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फाइल फोटो

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

डिजिटल दुनिया ने जहां हमारी जिंदगी को आसान बनाया है, वहीं साइबर अपराधियों ने इसे जाल में बदल दिया है। बीते कुछ दिनों में लखनऊ में तीन ऐसे मामले सामने आए हैं जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या इंटरनेट पर किसी अजनबी से जुड़ना सुरक्षित है? क्या मोटे मुनाफे का वादा सच हो सकता है? जवाब है नहीं। तमाम जागरूकता फैलाने के बाद भी लोग साइबर ठगों के जाल में फंस जा रहे है। 

केस-1: सोशल मीडिया पर शुरू हुई बातचीत होटल में ब्लैकमेलिंग तक पहुंची

महानगर क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित डॉक्टर को सोशल मीडिया पर एक महिला ने संपर्क किया। बातचीत धीरे-धीरे बढ़ी और महिला ने कुछ अश्लील वीडियो भेजे। फिर धमकी दी - “अगर मुझसे नहीं मिले, तो ये वीडियो तुम्हारे रिश्तेदारों को भेज दूंगी।” डर के मारे डॉक्टर होटल में मिलने पहुंचा, जहां महिला ने उसके और भी अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर लिए।इसके बाद महिला ने इन वीडियो को वायरल करने की धमकी दी और मोटी रकम की मांग करने लगी। मानसिक रूप से परेशान डॉक्टर ने आखिरकार पीजीआई थाने में तहरीर दी।

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केस-2: समीक्षा अधिकारी से 11.42 लाख की ठगी

इंदिरा नगर निवासी अनूप सिंह पाल, जो इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में समीक्षा अधिकारी हैं, उनसे साइबर जालसाजों ने “ऑनलाइन फॉरच्यून क्लब” के नाम पर संपर्क किया। प्रोफेसर बनकर एक व्यक्ति उन्हें ट्रेडिंग की ‘क्लास’ देने लगा। जल्द ही मोटे मुनाफे का लालच देकर 11.42 लाख रुपये की ठगी की गई।जब अनूप सिंह ने प्रॉफिट निकालने की कोशिश की, तो टैक्स के नाम पर और पैसे मांगे गए। ठगे जाने के एक साल बाद उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई।

केस तीन: यूएसडीटी की शेयर ट्रेडिंग में निवेश के नाम ठगे 36 लाख 

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यूएसडीटी की शेयर ट्रेडिंग में निवेश के नाम पर साइबर जालसाजों ने इंदिरानगर सेक्टर-11 निवासी कारोबारी अखिलेश वर्मा से 36 लाख रुपये ठग लिए। उन्होंने साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कराया है।जालसाज ने 5 से 7 अप्रैल के बीच 18 बार में 36 लाख रुपये जमा करा लिए। बताया गया कि सारा काम यूके के प्लेटफॉर्म पर किया गया है। खाते में मुनाफा देखकर पीड़ित ने रकम निकालनी चाही तो बतौर टैक्स 16.34 लाख रुपये की मांग की गई। तब धोखाधड़ी का अहसास हुआ।

सवाल बड़ा: कहां जा रही है ऑनलाइन सुरक्षा

इन दोनों मामलों में एक बात समान है — भरोसे का दुरुपयोग और टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल। अब सवाल यह है कि लोग कब सतर्क होंगे?।क्या सोशल मीडिया पर हर फ्रेंड रिक्वेस्ट को स्वीकार करना चाहिए?।क्या बिना जांचे-परखे किसी ऑनलाइन स्कीम में पैसा लगाना समझदारी है?,और सबसे अहम — क्या ऑनलाइन अपराधों को हल्के में लेना ठीक है।

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साइबर एक्सपर्ट्स की सलाह

अनजान लिंक पर क्लिक न करें।

सोशल मीडिया पर निजी जानकारी साझा करने से बचें।

कोई स्कीम असामान्य रूप से अच्छा लगे, तो सावधान हो जाएं।

किसी भी ठगी के मामले में तुरंत पुलिस या साइबर सेल को सूचित करें।

सतर्क रहें, जागरूक बनें

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ऑनलाइन दुनिया में हर क्लिक के पीछे एक खतरा भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम डिजिटल नागरिक के तौर पर खुद को शिक्षित करें और दूसरों को भी करें। हनी ट्रैप और ट्रेडिंग फ्रॉड जैसे मामलों की बढ़ती संख्या बताती है कि अब समय आ गया है — जब ऑनलाइन सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है जितनी असल दुनिया में चौकसी।

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