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स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ नया कनेक्शन देने का कड़ा विरोध, उपभोक्ताओं ने दी आंदोलन की चेतावनी

UPPCL की ओर से नया कनेक्शन सिर्फ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ देने के आदेश का उपभोक्ताओं ने कड़ा विरोध किया है। शनिवार को उपभोक्ता परिषद के वेबीनार में प्रदेश भर से जुड़े उपभोक्ताओं नपावर कॉरपोरेशन पर करारा हमला बोला।

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Deepak Yadav
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स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ नया कनेक्शन देने का कड़ा विरोध Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की ओर से नया कनेक्शन सिर्फ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ देने के आदेश का उपभोक्ताओं ने कड़ा विरोध किया है। शनिवार को उपभोक्ता परिषद के वेबीनार में प्रदेश भर से जुड़े उपभोक्ताओं नपावर कॉरपोरेशन पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन जनता को लालटेन युग में ले जाना चाहता है। इस नए आदेश से साबित हो गया कि कारपोरेशन निजीकरण की प्रकिया को ही आगे बढ़ाना चाह रहा है।

मुंबई में घरेलू बिजली दर 16 रुपये प्रति यूनिट तक

उपभोक्ताओं ने कहा कि उड़ीसा और मुंबई मॉडल पर यूपी में निजीकरण किया जा रहा है। इन दोनों राज्यों में बिजली दरों और नए कनेक्शन के शुल्क में वृद्धि हुई है। मुंबई में घरेलू उपभोक्ताओं की अधिकतम बिजली दर 16 रुपये प्रति यूनिट तक है। ओडिशा में एक किलोवाट का कनेक्शन 4500 रुपये में मिलता है। अब पावर कारपोरेशन ने यूपी में ऐसा ही किया है। नए आदेश से एक किलोवाट का कनेक्शन 1032 की जगह 6166 रुपये में मिलेगा। 

उपभोक्ताओं ने दी आंदोलन की चेतावनी 

उपभोक्ताओं ने कहा कि बिजली दर में 45 प्रतिशत तक बढ़ोतरी के प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिली तो 12 रुपये प्रति यूनिट तक दरें बढ़ जाएंगी। हरेंद्र कुमार, योगेंद्र दुबे, संदीप कुमार, सानू कुमार, सुरुचि, तमन्ना सिंह, अंशु दीप, जावेद हुसैन ने एक स्वर में कहा कि पावर कारपोरेशन ने अपना तुगलकी आदेश वापस नहीं लिया तो प्रदेश भर में बड़ा आंदोलन होगा। 

प्रीपेड मीटर लगाने का आदेश असंवैधानिक

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के तहत उपभोक्ता को प्रीपेड या पोस्टपेड बिजली कनेक्शन लेने का अधिकार है। ऐसे में सिर्फ प्रीपेड मीटर लगाने का आदेश असंवैधानिक है। इसलिए विद्युत नियामक आयोग ने उसे पास नहीं किया है। आयोग जब तक इस संंबंध में कोई आदेश जारी नहीं करता, उपभोक्ता पावर कारपोरेशन का आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। 

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