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Health News : 50 प्रतिशत बीमारियों का इलाज सिर्फ होम्योपैथी से संभव, पीएम मोदी समेत 45 करोड़ लोग अपना रहे ये चिकित्सा पद्धति

 एशियन होम्योपैथी मेडिकल लीग के अध्यक्ष डॉ गिरीश गुप्ता दावा किया कि 50 प्रतिशत बीमारियों का इलाज सिर्फ होम्योपैथी से ही संभव है। यह गलतफहमी भी दूर हो चुकी है कि होम्योपैथिक दवाइयां धीरे-धीरे असर करती हैं।

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Deepak Yadav
dr girish gupta

एशियन होम्योपैथी मेडिकल लीग के अध्यक्ष डॉ गिरीश गुप्ताव अन्य चिकित्सक Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। एशियन होम्योपैथी मेडिकल लीग के अध्यक्ष डॉ गिरीश गुप्ता दावा ने किया कि 50 प्रतिशत बीमारियों का इलाज सिर्फ होम्योपैथी से ही संभव है। अब यह गलतफहमी भी दूर हो चुकी है कि होम्योपैथिक दवाइयां धीरे-धीरे असर करती हैं। देश में करीब 36 प्रतिशत यानी 40 से 45 करोड़ लोग होम्योपैथी दवाई ले रहे हैं। जब​कि यूपी में यह आंकड़ा 14 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल समेत कई बड़े नेताओं ने इस आधुनिक चिकित्सा पद्ध​ति को अपनाया है।

होम्योपैथी सबसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति

डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि होम्योपैथी को प्राचीन चिकित्सा पद्ध​ति मानना एक गलत धारणा है। वास्तव में होम्योपैथी सबसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति है। इसके बाद कोई नई पैथी नहीं आई है। यह सवा दो सौ 200 साल पुरानी है। प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में आयुर्वेद (लगभग 5000 साल पुराना), यूनानी, एलोपैथी, सिद्धि शामिल हैं। होम्योपैथी के जनक एलोपैथिक डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन थे। 10 अप्रैल, 1755 में यूरोप की जर्मनी में जन्मे सैमुअल ने देखा कि एलोपैथिक इलाज बहुत महंगा है। जिससे गरीब लोगों का इलाज करने में बहुत कठिनाइयां होती है। इसलिए उन्होंने 1790 में एक नए चिकित्सा पद्धति 'होम्योपैथी' की खोज की।

बीमारी को जड़ से खत्म करने खासियत

उन्होंने बताया कि एलोपैथी में इलाज अंग के हिसाब से किया जाता है। जबकि होम्योपैथी में पूरे शरीर को ध्यान में रखकर इलाज होता है। इस वजह से बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। मरीज की पूरी हिस्ट्री लेकर उसे कम से कम दवा दी जाती है। जबकि एलोपैथी और आयुर्वेद में ऐसा नहीं है। उसमें मरीज को एक साथ 11-12 दवाइयों देना सामान्य बात है। एलोपैथी में अक्सर हर डॉक्टर चार-पांच दवाईयां लिखते हैं। जिससे मरीज से सुबह से लेकर शाम तक दवा खानी पड़ती है। लेकिन होम्योपैथी में मरीज का एक फ्रेम तैयार कर उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति देखकर न्यूनतम दवा देकर इलाज किया जाता है।

कई सर्जिकल बीमारियों में होम्योपैथी कारगर

डॉ  गुप्ता ने बताया कि कई सर्जिकल बीमारियों जैसे किडनी स्टोन फाइब्रॉयड, गॉलब्लैडर स्टोन, यूट्रस में फाइब्रॉयड, सिस्ट, प्रोस्टेट की बीमारियों में होम्योपैथिक दवाई से अच्छे परिणाम मिलते हैं। उन्होंने दावा किया कि त्वचा संबंधी बीमारियां ल्यूकोउर्मा, सोरायसिस, एक्जिमा फंगल इन्फेक्शन का होम्योपैथी में पूरा इलाज संभव है। एलोपैथी में इन बीमारियों का इलाज करते करते डॉक्टर भी परेशान हो जाते हैं। होम्योपैथी में ये बीमारियां जड़ से खत्म हो सकती हैं। सांस संबंधी और मानसिक बीमारियों का भी होम्योपैथी में बेहतर इलाज है।

गठिया का इलाज ​सिर्फ 1-2 दवाओं से संभव

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लीग अध्यक्ष के मुताबिक, होम्योपैथी में सिर्फ एक या दो दवाइयों से गठिया भी ठीक की जा सकती है। होम्योपैथी में सिर्फ रिसर्च की कमी थी। लेकिन अब युवा डॉक्टर ने इसे. आयुष मंत्रलाय की मदद से होम्योपैथिक घर-घर तक पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बीमार होने पर होम्योपैथिक दवाई लेते हैं। यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी भरी सभा में कहा था कि जब वह बीमार होती थीं तो नरेन्द्र भाई उन्हें होम्योपैथिक दवाई लेन की सलाह देते थे। आज राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपती बड़ी संख्या में नेता और जज भी होम्योपैथिक दवाई ले रहे हैं। राजा से लेकर रंग तक आज होम्योपैथिक दवाई ले रहा है। 

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