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लखनऊ में आज से होगा जनजाति भागीदारी उत्सव का आगाज, मुख्यमंत्री करेंगे शुभारंभ

जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान परिसर में आज से 18 नवम्बर तक उत्सव का आयोजन किया जाएगा। सुबह 11 बजे 1090 चौराहे से सांस्कृतिक समागम शोभयात्रा निकाली जाएगी।

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Deepak Yadav
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लखनऊ में आज होगा जनजाति भागीदारी उत्सव का आगाज Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान परिसर में आज से 18 नवम्बर तक उत्सव का आयोजन किया जाएगा। सुबह 11 बजे 1090 चौराहे से सांस्कृतिक समागम शोभयात्रा निकाली जाएगी। शाम पांच बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनजाति भागीदारी उत्सव का शुभारंभ करेंगे। 

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18 राज्यों के 600 कलाकार देंगे प्रस्तुतियां

उत्सव में विभिन्न जनजातियों के रहन-सहन, परंपरागत शिल्प, लोककला, लोक संगीत, और खानपान की विशिष्टता एक मंच पर प्रदर्शित की जाएगी। जनजातीय समाज की वन संस्कृति, प्रकृति के प्रति आस्था, सामाजिक सहयोग की परंपरा और आत्मनिर्भर जीवनशैली इस आयोजन की आत्मा होगी। उत्सव में अरुणाचल प्रदेश, भागीदार राज्य के रूप में शामिल रहेगा। 18 राज्यों के  600 कलाकार अपने पारंपरिक नृत्य, गीत और वाद्य प्रस्तुतियों के माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता का संदेश देंगे। उत्सव के दौरान पारंपरिक व्यंजन, जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, लोक चित्रकला और जनजातीय आभूषणों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र बनेगी।

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परिसर में बना सेल्फी प्वाइंट 

असम के लखीमपुर निवासी और वरिष्ठ रंगकर्मी दयाल कृष्ण नाठ, उत्सव स्थल इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान परिसर में प्रवेश गेट और सेल्फी प्वाइंट बना रहे हैं। उनका संदेश है कि बांस, असम की जिंदगी का अभिन्न अंग है। आज भी मकान बनाने से लेकर क्राकरी तक में बांस इस्तेमाल किया जा रहा है। बुधवार को देर रात तक परिसर की साज सज्जा और स्टॉल निर्धारण का कार्य चलता रहा। कहीं टाट और प्लाई से तैयार टेराकोटा लुक दीवारों पर, जनजातीय अल्पनाएं उकेरी जा रही हैं तो कहीं बंधनवार लगाए जा रहे हैं। कहीं चौपाल तो कहीं आंगन तैयार किया जा रहा है।

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 लोकनृत्य की प्रस्तुतियां होंगी खास

उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति कला संस्कृति संस्थान के निदेशक डॉ.अतुल द्विवेदी के अनुसार, उत्सव के शुभारंभ के बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। इसमें असम का बरदोईशिखला, ओडिशा का डुरुआ जनजाति नृत्य, महाराष्ट्र का लिंगो, छत्तीसगढ़ का मांदरी, राजस्थान का मांगणिहार गायन, गुजरात का मेवासी और सिद्धिधमाल, अरुणाचल प्रदेश का याक, न्य्हो, मध्य प्रदेश का भगोरिया एवं गुदुमबाजा, उत्तर प्रदेश का बुक्सा, शैला,  झीझी, मादल वादन, बिहार का संथाली आकर्षण का केन्द्र बनेंगे वहीं बीन वादन, जादू, रंगोली, नट नटी, बहुरूपिया की भी प्रस्तुतियां होंगी।

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