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बिजली महापंचायत में जुटे कर्मचारी, निजीकरण के खिलाफ आंदोलन का होगा ऐलान

प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर कर्मचारी और सरकार आमने सामने है। पिछले सात महीने से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण के 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था ​निजी हाथों में दिए जाने के खिलाफ कार्मिक आंदोलन कर रहे हैं।

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Deepak Yadav
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बिजली महापंचायत में जुटने लगे कर्मचारी

बिजली महापंचायत में जुटने लगे कर्मचारी Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण के खिलाफ आज लोहिया विधि विश्वविद्यालय के अंबेडरक सभागार में बिजली महापंचायत होगी। प्रदेश भर से बिजली कर्मचारी लखनऊ पहुंचने लगे हैं। महापंचायत में आगामी आंदोलन का एलान किया जाएगा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर महापंचायत में किसान, शिक्षक और उपभोक्ता समेत कई संगठनों के पदाधिकारी शामिल होंगे। 

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सरकार और बिजली कर्मिक आमने-सामने

प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर कर्मचारी और सरकार आमने सामने है। पिछले सात महीने से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण के 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था ​निजी हाथों में दिए जाने के खिलाफ कार्मिक आंदोलन कर रहे हैं। इससे पहले लखनऊ में एकजुट होकर बिजली कर्मियों ने आवाज बुलंद की थी। लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।​ निजीकरण के मसौदे में तमाम कमियां भी उजागर हुईं। पर सरकार ने इसे दरकिनार कर निजीकरण की प्रकिया जारी रखी।  

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आन्दोलन का प्रस्ताव होगा पारित

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकारी बिजली कंपनियों को किसी भी सूरत में निजी हाथों में नहीं जाने देंगे। महापंचायत में आर-पार की लड़ाई का एलान होगा। आन्दोलन का मुख्य प्रस्ताव महापंचायत में पारित किया जायेगा। निजीकरण के पहले बिजली दरें बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी। निजीकरण से कर्मचारी न सिर्फ कर्मचारी प्रभावित होंगे बल्कि उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का बोझ पड़ेगा।

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झूठे आंकड़ों के आधार पर निजीकरण

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि निजीकरण के पीछे बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है। इसका खुलासा महापंचायत में किया जायेगा। पावर कारपोरेशन के निजीकरण के प्रस्ताव को नियामक आयोग की ओर से वापस भेजने से भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि हो गयी है। महापंचायत में झूठे आंकड़ों के आधार पर बिजली कंपनियों के निजीकरण की निंदा की जायेगी। 

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