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UP News: सीएम योगी की ईमानदार भर्ती प्रणाली से बदली हजारों परिवारों की तकदीर

प्रदेश में 60,244 युवाओं को एक साथ मिले नियुक्ति पत्र, पारदर्शिता और मेहनत की बनी मिसाल। हजारों अभ्यर्थियों की कहानियों में दिखा सिर्फ एक भरोसा- योगी सरकार की पारदर्शिता। रोजगार के साथ शिक्षा और सामाजिक बदलाव की नई कहानी लिख रही योगी सरकार।

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Vivek Srivastav
लखनऊ

नियुक्ति पत्र लेने लखनऊ आए अभ्‍यर्थी। Photograph: (वाईबीएन)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी लखनऊ के वृंदावन योजना स्थित डिफेंस एक्सपो ग्राउंड रविवार को एक ऐतिहासिक दृश्य का साक्षी बना, जब पहली बार राज्य में एक साथ 60,244 नवचयनित आरक्षियों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। इस विशाल नियुक्ति समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(CM Yogi Adityanath) की उपस्थिति में हजारों नव नियुक्त आरक्षियों की आंखें खुशी से नम थीं, क्योंकि इनमें से हजारों की संख्या में नियुक्त आरक्षी अपने-अपने परिवार की ‘पहली पीढ़ी के सरकारी कर्मचारी’ हैं।

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किसान की बेटी बनी आरक्षी, बेटी से परिवार की शान बनी रोशनी

फिरोजाबाद जिले के हरदासपुर की रोशनी उन हजारों युवाओं में से एक हैं, जिन्होंने आज अपने परिवार की पहली सरकारी नौकरी का गौरव हासिल किया। रोशनी के पिता अमीर सिंह किसान हैं और मां मीरा देवी गृहणी। दो भाइयों की अकेली बहन रोशनी ने बताया कि हमारे परिवार में पहले कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं था। दादा-चाचा सभी खेती-किसानी करते हैं। आज मैंने नियुक्ति पत्र लिया, यह मेरे लिए गर्व का पल है। रोशनी ने योगी सरकार(yogi government) की पारदर्शी प्रक्रिया की सराहना करते हुए कहा कि फॉर्म भरने से लेकर चयन तक किसी को एक भी पैसा नहीं देना पड़ा।

बिना पैसे सरकारी नौकरी नहीं मिलती, आज यह धारणा टूट गई

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इसी तरह बांदा के मरका गांव की प्रीति यादव ने भी अपने परिवार में पहली सरकारी नौकरी पाने का इतिहास रचा। प्रीति यादव ने जब अपने परिवार को बताया कि उनका चयन यूपी पुलिस में हो गया है, तो घर में जैसे त्योहार मन गया। प्रीति तीन भाइयों में अकेली बहन हैं और पहली सदस्य हैं जो सरकारी नौकरी में जा रही हैं। तीन भाइयों की अकेली बहन प्रीति के पिता दिनेश यादव प्राइवेट नौकरी करते हैं और मां राजपति गृहणी हैं। मैं मुख्यमंत्री योगी जी को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने बिना किसी भ्रष्टाचार के यह मौका दिया। पहले लोग कहते थे कि बिना पैसे सरकारी नौकरी नहीं मिलती, लेकिन आज यह धारणा टूट गई।

‘अब प्रतिभा के आगे कोई भेदभाव नहीं टिकता’

देवरिया के आशीष गौतम की कहानी भी प्रेरणादायक है। दलित समुदाय से आने वाले आशीष के माता-पिता मजदूरी करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कई बार सीएम योगी को कहते सुना था कि अब भ्रष्टाचार नहीं होगा। मुख्यमंत्री योगी के भ्रष्टाचारमुक्त भर्ती के वादे पर भरोसा किया, उनके भरोसे पर मैंने मेहनत की और आज यूपी पुलिस में आरक्षी बन गया। आशीष ने बताया कि उनके परिवार में दो भाई और तीन बहनें हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में अब प्रतिभा के आगे कोई भेदभाव नहीं टिकता। अब वे ईमानदारी से नौकरी कर अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालेंगे। 

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“अब खेत नहीं बिकेंगे”

देवरिया के ही हरिरामपुर गांव के राजकुमार यादव की आंखें खुशी से नम थीं। उनके पिता राम अधार यादव अब इस दुनिया में नहीं हैं। पिता को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आज पिताजी होते तो बहुत खुश होते। पांच भाइयों और तीन बहनों में चौथे नंबर के राजकुमार ने योगी सरकार की पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की तारीफ की और कहा कि पहले कहा जाता था कि सरकारी नौकरी के लिए खेत तक बिक जाते हैं, लेकिन आज बिना एक पैसे दिए यह मौका मिला, यूपी में अब सरकारी नौकरी पाने में खेत नहीं बेचने होंगे। योगी सरकार प्रतिभा को सम्मान दे रही है।

रोजगार के साथ शिक्षा और सामाजिक बदलाव की नई कहानी लिख रही योगी सरकार

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श्रावस्ती के अवधेश प्रसाद, महोबा के सुखदेव वर्मा, अमेठी के अखिलेश यादव जैसे हजारों युवा आज अपने चेहरे पर मुस्कान लिए नियुक्ति पत्र लेने पहुंचे। इनमें से ज्यादातर अपने परिवार में पहली बार सरकारी नौकरी पाने वाले हैं। यह भर्ती न केवल रोजगार का अवसर दे रही है, बल्कि शिक्षा और सामाजिक बदलाव की नई कहानी भी लिख रही है। यह भर्ती ‘सबका साथ, सबका विकास’ के संकल्प को साकार करती है।” इस प्रक्रिया में हाईटेक तकनीक का उपयोग, बायोमेट्रिक सत्यापन और सीसीटीवी निगरानी ने पारदर्शिता सुनिश्चित की। योगी सरकार की यह पहल न केवल युवाओं को रोजगार दे रही है, बल्कि उनके परिवारों की सामाजिक स्थिति को भी ऊंचा उठा रही है।

हजारों कहानियां, एक भरोसा – योगी सरकार की पारदर्शिता

श्रमिक, किसान, मजदूर और सीमांत वर्गों से आए हजारों युवाओं ने इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूरी पुलिस भर्ती प्रक्रिया की ईमानदारी की प्रशंसा की। इन युवाओं की एक साझा बात यह रही कि कहीं किसी को न तो किसी नेता की सिफारिश की जरूरत पड़ी, न ही एक रुपया रिश्वत देना पड़ा।

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