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प्रतीकात्मक तस्वीर Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव तो 2027 में होने हैं लेकिन प्रदेश की सियासी जमीन अभी से सरगर्म है। प्रमुख विपक्षी दलों में गठबंधन को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। एक के बाद एक राजनीतिक बयान आ रहे हैं। सबसे ताजा प्रकरण समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का है। गौरतलब है कि दोनों पार्टियां पिछला लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ी थीं और 43 सीटें जीती थीं। हालांकि गठबंधन के तहत सपा ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को केवल 17 सीटें दी थीं। अब सारी राजनीतिक उठापटक इसी ''80'' और ''17'' के फेर में फंसी है।
हमारे सहयोगी हमें खा जाते हैं
दरअसल, बीते दिनों सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि अब 80-17 का फॉर्मूला नहीं चलेगा। इमरान मसूद ने साफ कहा कि अगर समझौता होता है तो वह सम्मानजनक होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि ''हम भिखारी हैं जो सपा से भीख मांगेंगे?'' कांग्रेस सांसद यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा अपने सहयोगियों को खा जाती है और हमारे सहयोगी हमें खा जाते हैं।
जानबूझकर पलटवार नहीं कर रही सपा
अब कांग्रेस सांसद की दो टूक बयानबाजी को कई दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक समाजवादी पार्टी के किसी दिग्गज नेता की प्रतिक्रिया सामने न आना भी कम हैरत की बात नहीं है। पार्टी के जो नेता हर मुददे पर बयानवीर बन जाते थे, वे भी इस मसले पर चुप्पी साधे हैं। हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि समाजवादी पार्टी जानबूझकर इमरान मसूद की बयानबाजी पर पलटवार नहीं कर रही। दरअसल, सपा न तो इमरान मसूद को कांग्रेस का बड़ा मुस्लिम चेहरा बनने देना चाहती है और न ही यह चाहती है कि इमरान मसूद के राजनीतिक कद में इजाफा हो ताकि सपा के परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक में सेंध न लग सके। इसके अलावा पार्टी गठबंधन पर ध्यान देने के बजाए चुनाव की तैयारियों पर ज्यादा जोर दे रही है।
कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं अखिलेश यादव
वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अंदरखाने कांग्रेस आलाकमान को भी यह खबर है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस इमरान मसूद, जो कि पार्टी का मुस्लिम चेहरा भी हैं, को आगे रखकर समाजवादी पार्टी पर दबाव बनाना चाहती है ताकि वह ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर सके। वहीं, कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इमरान मसूद पार्टी के भीतर अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहते हैं, इसलिए वह ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं।
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