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बिजली इंजीनियरों ने सीएम से मांगा तोहफा, बोले- अभियंता दिवस पर निजीकरण का फैसला हो रद्द

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री ने पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को कैशलैस इलाज का तोहफा दिया था। उसी तरह बि​जली कर्मी और अभियंता उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें सरकारी क्षेत्र में बने रहने का तोहफा मिलेगा।

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Deepak Yadav
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अभियंता दिवस पर निजीकरण का फैसला रद्द करने की अपील Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि अभियंता दिवस (15 सितंबर) पर बिजली कर्मियों को तोहफा देते हुए निजीकरण का फैसला निरस्त किया जाए। समिति का कहना है कि ऊर्जा निगमों में विशेषज्ञ बिजली इंजीनियरों को शीर्ष पदों पर तैनात किया जाना चाहिए। 

शिक्षक दिवस पर तोहफा, अब अभियंता दिवस की बारी

समिति ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री ने पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को कैशलैस इलाज का तोहफा दिया था। उसी तरह बि​जली कर्मी और अभियंता उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें सरकारी क्षेत्र में बने रहने का तोहफा मिलेगा।

निजीकरण रद्द करने की अपील

पदाधिकारियों ने कहा कि अभियन्ता दिवस पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का फैसला निरस्त किया जाता है तो बिजली कर्मी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश की बिजली व्यवस्था में गुणात्मक सुधार कर 2047 तक समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश का सपना साकार करने में योगदान देंगे।

हर चुनौती पर खरे उतरे बिजली ​कर्मी

समिति ने दावा किया कि बिजली कर्मी किसी भी चुनौती के समय सदा ही कसौटी पर खरे उतरे हैं। चाहे महाकुंभ के दौरान निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना हो हो या भीषण गर्मी में देश में सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति का नया कीर्तिमान बनाना। हर मौक पर बिजली इंजीनियरों ओर कर्मियों अपनी क्षमता साबित की है। 

सैंकड़ों कर्मियों ने निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़ी

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सैंकड़ों बिजली कर्मियों ने निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर पावर कारपोरेशन में सरकारी नौकरी ज्वाइन की थी। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम सरकारी क्षेत्र में बना रहे ताकि वह अपनी सेवा दें सकें।

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