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BBAU में योग श्रृंखला का आगाज : आचार्य भीम सिंह ने कहा- निरंतर योगाभ्यास से मिल सकती हैं अष्ट सिद्धियां

आचार्य भीम सिंह ने कहा कि योग जीवन का विज्ञान है। जो तन, मन और आत्मा को संतुलित करता है। योगाभ्यास से व्यक्ति में सकारात्मक विचारों का जन्म और नकारात्मक भावनाओं का क्षय होता है।

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Deepak Yadav
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बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय

BBAU में माह योग श्रृंखला का उद्घाटन Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) मे बृहस्पतिवार को 11वें अंतरराष्ट्री योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित योग महाकुंभ के अंतर्गत एक माह तक चलने वाली‌ योग श्रृंखला का आगाज हुआ। इस दौरान मुख्य अतिथि आचार्य भीम सिंह ने कहा कि योग जीवन का विज्ञान है। जो तन, मन और आत्मा को संतुलित करता है। योगाभ्यास से व्यक्ति में सकारात्मक विचारों का जन्म और नकारात्मक भावनाओं का क्षय होता है। इसके लगतार अभ्यास से साधक को अष्ट सिद्धियां अणिमा, महिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व और कामावसायिता की प्राप्ति हो सकती हैं, जो साधक के मानसिक और आध्यात्मिक स्तर को उच्च बनाती हैं। श्रीमद्भागवत गीता का प्रत्येक श्लोक जीवन में योग की महत्ता को दर्शाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि योग केवल साधना नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक श्रेष्ठ शैली है।

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योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाएं

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मूल उद्देश्य व्यक्ति के चारित्रिक, मानसिक, आध्यात्मिक एवं सर्वांगीण विकास में निहित है।‌ योग के अभ्यास से न केवल तन स्वस्थ रहता है, बल्कि मन भी स्थिर और संतुलित बना रहता है। कुलपति ने बताया कि मौजूद समय में पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव बढ़ रहा है। तब भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी उपयोगिता को पुनः समझने की जरुरत है। भारतीय योग की परंपरा न केवल वैज्ञानिक है, बल्कि मानव कल्याण का भी आधार है। हम योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाएं और इसकी समृद्ध विरासत को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करें। साथ ही शिक्षा संस्थानों, नीति-निर्माताओं और समाज के हर जागरूक नागरिक का कर्तव्य है कि वे योग एवं भारतीय संस्कृति की इस अनुपम धरोहर को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं। 

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पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए योग

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संकायाध्यक्ष प्रो. बीसी यादव ने कहा कि आज के परिवेश में योग को केवल व्यायाम या ध्यान तक सीमित न रखकर उसे जीवन के संस्कारों में शामिल करने की जरुरत है। योग को प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रमों में व्यवस्थित रूप से शामिल किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी न केवल विद्वान हो, बल्कि चरित्रवान और संतुलित भी हो। विभागाध्यक्ष डॉ. दीपेश्वर सिंह ने कहा कि योग विभाग एवं योग वेलनेस सेंटर, बीबीएयू की ओर से योग साधकों के लिए अभ्यास सत्र, योग जागरूकता शिविर, दो दिवसीय योग थैरेपी कार्यशाला, सूर्य नमस्कार सत्र, मधुमेह, रक्तचाप, पीसीओडी और पीसीओएस बीमारियों में लाभदायक व्यायाम, फेफड़े, किडनी‌ एवं लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए जरूरी योग, आसनों का अभ्यास, एडवांस मेडिटेशन सत्र, विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिये गये गांवों में योगाभ्यास, विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं आदि का आयोजन किया जा रहा है। 

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