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Photograph: (google)
महाकुंभ में बुधवार को मौनी अमावस्या के दूसरे अमृत स्नान पर्व पर बड़ा हादसा हो गया है। संगम तट के पास भगदड़ मचने से अब तक 17 श्रद्धालुओं की इस भगदड़ में मौत हो गई है। हालांकि अब तक प्रशासन व शासन ने मृतकों और घायलों की अधिकारिक संख्या नहीं बताई है। यह भगदड़ में मौत होने का इकलौता मामला नहीं है, इससे पहले भी धार्मिक आयोजन के मौके पर ऐसे दुखद हादसे हो चुके हैं। डालते हैं इन हादसों पर एक नजर...
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भारत में धार्मिक आयोजनों के दौरान भगदड़ की घटनाएं अक्सर सामने आती रही है, जिसमें कई लोगों की जानें गई है। इन घटनाओं के पीछे मुख्य भीड़ की अत्यधिक जमावड़ा, सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमी, आपातकालीन स्थितियों में उचित प्रबंध के अभाव जैसे कई अहम कारण हैं।
Mahakumbh 2025 : मौनी अमावस्या पर मेले में भगड़द , 17 लोगों की मौत, अखाड़ों का अमृत स्नान रद
भगदड़ की प्रमुख घटनाएं :
- जनवरी 2025: आंध्र प्रदेश के एक मंदिर के पास मची भगदड़ में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 35 से अधिक घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास कर रही थी, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
- जुलाई 2024:उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक धार्मिक सभा के दौरान भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई। करीब 15,000 लोग एक प्रवचन सुनने के लिए एकत्रित हुए थे, जबकि आयोजन स्थल की क्षमता केवल 5,000 लोगों की थी। अचानक आई धूल भरी आंधी के कारण लोगों में घबराहट फैल गई
- जनवरी 2022:जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी मंदिर में नए साल के अवसर पर मची भगदड़ में 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। भीड़ के अत्यधिक बढ़ने और व्यवस्थाओं की कमी के कारण यह दुर्घटना घटी।
- फरवरी 2013:प्रयागराज में आयोजित कुम्भ मेले के दौरान रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोगों की जान चली गई। भीड़ के दबाव और प्लेटफॉर्म पर अव्यवस्था के कारण यह हादसा हुआ।
- नवंबर 2011: हरिद्वार में गायत्री परिवार के यज्ञ समारोह के दौरान मची भगदड़ में 20 लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं। आयोजन स्थल पर आने और जाने का एक ही मार्ग होने के कारण भीड़ में अफरा-तफरी मच गई।
- जुलाई 2003: नासिक में की गोदावरी नदी के तट में आयोजित कुम्भ मेले में महास्नान के दौरान एक एक साधू ने कुछ चांदी के सिक्के फेंके, उन्हें इक्ट्ठा करने के कोशिश में श्रद्धालुओं के बीच में हाथापाई के कारण भगदड़ मची। इस घटना में 39 तीर्थयात्रियों की मैतच हो गई थी। जिसमें से 28 महिलाएं और 11 पुरुष थे।
- फरवरी 1954: इलाहाबाद का कुंभ मेला, जो स्वतंत्रता के बाद आयोजित पहला कुंभ था, भारत के लिए एक ऐतिहासिक घटना थी। 3 फरवरी 1954 को, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर पवित्र स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े, तब भगदड़ मच गई। लगभग 800 लोगों की नदी में डूबकर मौत हो गई।
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