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संगम के जल की गुणवत्ता को लेकर CPCB की रिपोर्ट पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल Photograph: (YBN)
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की त्रिवेणी के जल की गुणवत्ता को लेकर जारी रिपोर्ट पर अब एक्सपर्ट्स ने भी सवाल उठाए हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह ने सीपीसीबी की रिपोर्ट में संगम के जल में फीकल कोलीफॉर्म (बैक्टीरिया) के स्तर में वृद्धि बताई गई है। उन्होंने कहा कि सीपीसीबी को संगम के पानी पर गहन अध्ययन करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कई जरूरी आंकड़े शामिल नहीं किए गए हैं।
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रिपोर्ट में घुलित ऑक्सीजन का स्तर अच्छा
प्रो. उमेश कुमार सिंह ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में नाइट्रेट और फॉस्फेट के स्तर गायब है। जो जल की गुणवत्ता निर्धारण के लिए अहम तत्व हैं। उन्होंने कहा कि संगम के जल की गुणवत्ता का सही तरीके से पता लगाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। रिपोर्ट के मुताबिक, घुलित ऑक्सीजन (dissolved oxygen) का स्तर अच्छा है। यह 7 से 10 मिलीग्राम प्रति लीटर तक है।
सीपीसीबी की रिपोर्ट में कई आंकड़े गायब
प्रो. सिंह ने कहा कि किसी भी जल की गुणवत्ता का सही आंकलन करने के लिए यह देखना जरूरी है कि उसमें सीवरेज (नाले का पानी) या इंडस्ट्रियल कचरा (कारखानों से निकलने वाला गंदा पानी) मिला है या नहीं। इसके लिए इन दोनों की जांच बेहद जरूरी है। सीपीसीबी की रिपोर्ट में यह दोनों आंकड़े शामिल नहीं है। प्रो. सिंह ने कहा कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले संगल के जल का का गहराई से अध्ययन जरूरी है। उन्होंने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर कहा कि त्रिवेणी संगम का जल स्नान करने योग्य है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा बहुत असंगत
प्रयागराज के पानी में फेकल बैक्टीरिया के संदूषण की रिपोर्ट पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर आरके रंजन ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा बहुत असंगत है। पानी को नहान लायक न बताना एक जल्दबाजी में दिया गया बयान है। प्रयागराज के जल को असुरक्षित बताने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है। इसी तरह के आंकड़े गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर, बक्सर और पटना से भी देखे जा सकते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जिनमें एक प्रमुख कारण यह भी है कि जब बड़ी संख्या में लोग एक ही स्थान पर स्नान करते हैं तो जल में प्रदूषण बढ़ सकता है। इसके अलावा पानी का नमूना कहां से और कब लिया गया है यह भी महत्वपूर्ण होता है।
जेएनयू के प्रोफेसर ने क्या कहा
जेएनयू के पर्यावरण विज्ञान स्कूल के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार मिश्रा ने कहा कि जल की गुणवत्ता पर निष्कर्ष निकालने के लिए अधिक डेटा की जरूरत है। महाकुंभ में बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं। जिससे ई.कोली बैक्टीरिया में वृद्धि स्वाभाविक है। प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि स्नान के उद्देश्य से 3 मिलीग्राम प्रति लीटर (बीओडी स्तर) से कम सुरक्षित है। हम कह सकते हैं कि पानी स्नान के लिए अच्छा है। संगम घाट के डेटा में उतार-चढ़ाव होता है। कभी-कभी, यह 4, 4.5 हो जाता है। संगम घाट के डेटा में उतार-चढ़ाव होता है। लेकिन घुलित ऑक्सीजन का स्तर एक स्वस्थ जल निकाय का संकेत देता है।
अखिलेश यादव ने उठाए थे सवाल
महाकुंभ के जल को लेकर आई रिपोर्ट्स के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यख अखिलेश यादव ने कहा था कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को जब बताया तब ये समाचार प्रकाश में आया कि प्रयागराज में गंगा जी का जल मल संक्रमित है। लखनऊ में सदन के पटल पर इस रिपोर्ट को झूठ साबित करते हुए कहा गया कि सब कुछ नियंत्रण में है।
एलजीटी-सीपीसीबी ने यूपी सरकार को लगाई थी फटकार
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सीपीसीबी ने महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी के जल की गुणवत्ता को लेकर यूपी सरकार को फटकार लगाई थी और यह तक कहा था कि संगम का जल पीने तो क्या नहाने या आचमन करने लायक तक नहीं है। सीपीसीबी ने बताया कि संगम के जल में फेकल कोलीफॉर्म और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड का लेवल नहाने के मानदंडों के अनुरूप नहीं है।
58 करोड़ से ज्यादा श्रद्वालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
प्रयागराज मे चल रहे महाकुंभ में हर दिन आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। आज 1.01 करोड़ श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान कर चुके हैं। इस पावन अवसर पर विभिन्न तिथियों पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। जिससे अब तक का कुल स्नान करने वालों की संख्या 58.03 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है।