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मुरादाबाद नगर निगम में 25 से 30 पैसे के खेल में करोड़ों के वारे न्यारे

मुरादाबाद नगर निगम के इंजीनियर 25 से 30 पैसे के खेल में करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं। इससे प्रदेश को जहां राजस्व की हानि हो रही है, वहीं इंजीनियर को फायदा पहुंच रहा है। आप सोच रहे होंगे, 25 से 30 पैसे के खेल में कोई इंजीनियर क्या कमा लेगा?

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Anupam Singh
गकिह

नगर निगम मुरादाबाद।

मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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मुरादाबाद नगर निगम के इंजीनियर 25 से 30 पैसे के खेल में करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं। इससे प्रदेश को जहां राजस्व की हानि हो रही है, वहीं इंजीनियर को फायदा पहुंच रहा है। आप सोच रहे होंगे, 25 से 30 पैसे के खेल में कोई इंजीनियर क्या कमा लेगा? उसका तरीका भी हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसको पढ़कर आपको नगर निगम के इंजीनियर की ओर से सरकार की आंख में धूल झोंकने का राजफाश हो जाएगा।

यहां बता दें कि नगर निगम में वर्षों से टेंडर 30 से 40 फीसद ब्लिओ डाले जा रहे थे। इसको यूं समझते हैं, कि अगर दस लाख का टेंडर है। मान लीजिए उसे 30 फीसद ब्लिओ पर डलवाया गया तो करीब 7 लाख टेंडर हो जाएगा और उसी सात लाख में रुपये जो कार्य किया जाना है। वह कार्य भी पूर्ण हो जाएगा। अब इसी टेंडर को अगर 25 पैसे ब्लो डाला जाए तो 9 लाख 75 हजार में टेंडर होगा। इस तरह से उसी काम के लिए 2.75 लाख रुपये की धनराशि बढ़ गई। हां, इस तरह से धनराशि जितनी अधिक बढ़ेगी। कमीशनखोरों को फायदा उतना अधिक होगा। 

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चहेते ठेकेदारों लिए 33 करोड़ का टेंडर दो बार निकाला

सूत्रों ने बताया कि 19 अक्टूबर 2024 को निर्माण कार्य के लिए 276 निविदाएं आमंत्रित की गई थी जिसको नगर निगम ने गुपचुप तरीके से कुछ दिन के बाद निरस्त कर दिया। बाद में उसी 33 करोड़ के 276 टेंडर को 10 दिसंबर 2024 को अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए पुन: निकाला गया। अंतर इतना था, पहले वाले टेंडरों से नगर निगम के  इंजीनियर जिस ठेकेदार को लाभ पहुंचाना चाह रहे  थे। उसे भरपूर लाभ नहीं मिल रहा था।

बाकी ठेकेदारों को रोकने के लिए लगाईं यह शर्तें

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जब 33 करोड़ के उन्हीं 276 टेंडर को नगर निगम ने दोबारा निकाला तो उसमे ठेकेदारों के लिए यह बाध्यता कर दी कि वह ही ठेकेदार टेंडर डाल सकता है, जिस ठेकेदार का ईपीएफ में रजिस्ट्रेशन व प्रमाण पत्र होगा। इसके अलावा ठेकेदार की ओर से NABL LAB द्वारा टाइल्स/ब्रिक फैक्ट्री होने का प्रमाण पत्र या ब्रिक निर्माता द्वारा अधिकृत होने का प्रमाण पत्र होगा। इस तरह से एकाएक बहुत सारे ठेकेदार टेंडर डालने से पहले ही वंचित कर दिये गये।

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ठेकेदारों के सवाल

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33 करोड़ की 276 निविदाएं जो पहले निकाली गईं थी, वह निरस्त क्यों करी गईं?

अगर निरस्त करी गईं तो फिर निकाली क्यों गईं?

क्या ऊपर से ऐसा कोई शासनादेश जारी हुआ था?

15 फीसदी ब्लिओ वाले टेंडरो को भी चीफ इंजीनियर द्वारा निरस्त क्यों किया जा रहा है?

गुणवत्ता का ख्याल रखते हुए कम ब्लिओ पर किये जा रहे हैं टेंडर : चीफ इंजीनियर नगर निगम

नगर निगम के चीफ इंजीनियर,निर्माण दिनेश सचान से बात की गई कि उन्होंने बताया कि गुणवत्ता का ख्याल रखते हुए कम ब्लिओ पर टेंडर किये जा रहे हैं। ऐसे सवाल उठता है, तीन साल से इन्हीं की तैनाती है। पहले जब 30 से 40 प्रतिशत ब्लिओ टेंडर किये जा रहे थे। तब क्या गुणवत्ता विहीन कार्य हो रहा था, जिसकी इंजीनियर द्वारा रिपोर्ट लगाई जा रही थी। 

 

 

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