Moradabad: हकीकत जाने बगैर प्रभारी मंत्री ने किया स्वास्थ्य विभाग का बखान, बर्न यूनिट में ना ही उचित व्यवस्था और ना ही सर्जन डॉक्टर
उत्तर प्रदेश सरकार के 8 साल बेमिसाल कार्यक्रम के तहत बीते दिनों जिले के प्रभारी मंत्री अनिल कुमार मुरादाबाद में स्वास्थ्य महकमे की उपलब्धियों का बखान करने से नहीं चूक रहे थे।
उत्तर प्रदेश सरकार के 8 साल बेमिसाल कार्यक्रम के तहत बीते दिनों जिले के प्रभारी मंत्री अनिल कुमार मुरादाबाद में स्वास्थ्य महकमे की उपलब्धियों का बखान करने से नहीं चूक रहे थे। उनकी उपलब्धियों में मुरादाबाद जिला अस्पताल में बनी बर्न यूनिट भी शामिल थे जिसका करीब दो करोड़ की लागत से निर्माण हुआ है और जहां पर मरीज का बेहतर इलाज किया जा रहा है।
मगर जब इस पर यूनिट की हकीकत जानने यंग भारत की टीम आज मौके पर पहुंची तो पता चला यह तो केवल रेफर सेंटर बनकर रह गई है और जो जिले भर से जले हुए मरीज आते हैं। उनका समुचित ढंग से इलाज तक नहीं हो पता है और उन्हें मंडल से बाहर मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। इसकी वजह है, ना तो यहां पर समुचित व्यवस्था है और ना ही सर्जन डॉक्टर की तैनाती है। अब इसे सरकार की उपलब्धियां मानेंगे या अनु उपलब्धियां। यह तो बेहतर जिले के प्रभारी मंत्री ही बता सकते हैं।
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8 साल बेमिसाल कार्यक्रम के तहत बीते दिनों जिले के प्रभारी मंत्री अनिल कुमार
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मोटी रकम खर्च करके प्रदेश के जिला अस्पताल में बर्न यूनिट बनाई गई हैं, लेकिन बर्न यूनिट में कोई सर्जन तैनात ना होने के चलते मरीजों को अब भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आग से झुलसे मरीज को यहां तैनात नर्स और स्टाफ प्राथमिक उपचार देने के बाद हायर सेंटर रेफर कर देते हैं।
मुरादाबाद के जिला अस्पताल में इलाज कराने आसपास के सभी क्षेत्रों के लोग आते हैं। अगर कोई व्यक्ति आग से झुलस जाता है तो जिला अस्पताल में उपचार के व्यापक इंतजाम उपलब्ध नहीं हैं और यहां अच्छे उपचार की उम्मीद कतई न करें। आपको मेरठ और दिल्ली भागना पड़ सकता है क्योंकि अस्पताल में नर्सों द्वारा ही इलाज किया जाता है यहां कोई सर्जन नहीं हैं।
संगीता गुप्ता।
सीएमएस का रटा रटाया जवाब विभाग को पत्र लिख दिया है
जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ संगीता गुप्ता ने बताया कि प्लास्टिक सर्जन के लिए विभाग को पत्र लिख दिया है,लेकिन अभी तक कोई भी तैनाती नहीं हुई है। फिलहाल डॉ राजेंद्र सिंह बर्न यूनिट देख रहे हैं। अब देखते हैं शासन कब तक प्लास्टिक सर्जन की नियुक्ति करता है।
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