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मानसरोवर कॉलोनी में चौराहे पर होलिका माई का पूजन करते लोग।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि 11:30 के बाद है, क्योंकि गुरुवार की सुबह 10:35 से रात्रि 11:29 तक भद्रा रहेगी, जिसमें होली का दहन करना अशुभ माना जाता है। यही वजह है कि शुभ कार्य रात्रि 11:30 बजे से प्ररांभ हो जाएंगे। इसके बाद लोग होलिका दहन कर सकेंगे।
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क्या है होली की मान्यता
मनोकामना मंदिर के पुजारी अनिल भारद्वाज ने बताया कि सनातन धर्म में होली के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता हैं। इस दिन सभी हिन्दू आपस के मत भेद को भुलाकर एक दूसरे को गले लगाकर रंग लगाते हैं और बधाई देते हैं। उन्होंने कहा कि होला का काफी महत्त्व है कि प्राचीन समय में हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका से कहा और वो प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। होलिका को अग्नी में न जलने का वरदान था, लेकिन प्रभु इच्छा से प्रहलाद बच गए और होलिका जल कर भस्म हो गई। तभी से होलिका पर्व मनाया जाता हैं। हालांकि होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बताया कि गुरुवार को सुबह 10:35 से रात्रि 11:29 तक भद्रा रहेगी। इस भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। यही वजह है कि होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त रात्रि 11:30 के बाद है। रात्रि 11:30 के सभी जगह होली का दहन किया जा सकता है।
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