भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे मुरादाबाद नगर निगम के चीफ इंजीनियर
मुरादाबाद नगर निगम इन दिनों भ्रष्टाचार के कारण सुर्खियों में है। सबसे अधिक वहां के चीफ इंजीनियर सुर्खियों में हैं, क्योंकि उनके द्वारा जहां पर कम काम का अधिक का इस्टीमेट तैयार कराया जा रहा है।
मुरादाबाद नगर निगम इन दिनों भ्रष्टाचार के कारण सुर्खियों में है। सबसे अधिक वहां के चीफ इंजीनियर सुर्खियों में हैं, क्योंकि उनके द्वारा जहां पर कम काम का अधिक का इस्टीमेट तैयार कराया जा रहा है। वहीं होने वाले विकास कार्य में निकलने वाले पुराने निर्माण सामग्री की बिकवाली करवाई जा रही है। इस वजह से सरकारी संपत्ति से जनता को बजाय खुद को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
यहां बता दें कि इन दिनों मुरादाबाद नगर निगम ठेकेदारों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। अब आप सोच रहे हैं वह कैसे? तो हम बताते हैं कि नगर निगम में सीसी टाइल्स द्वारा किसी वार्ड की सड़क मरम्मत या निर्माण कार्य के लिए टेंडर निकाले और जब ठेकेदार के नाम पर टेंडर होता है। तब वह साइड पर सड़क बनाने या मरम्मत कराने जाता है तो आनन फानन में सबसे पहले वह उस साइड पर लगी हुई पुरानी सीसी टाइल्स उखड़वा कर बेचता है।
इस तरह बिकने के लिए उखाड़ कर रखी गई पुरानी टाइल्स।
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नगर निगम में नहीं जमा होती टाइल्स
जिस पुरानी टाइल्स पर सरकार का अधिकार है, जो नगर निगम में जमा होनी चाहिए। वह जमा नहीं होती है। पूर्व में जब किसी ठेकेदार ने सड़क बनाई होगी तो उसने उसका भुगतान ले लिया होता है। ऐसे में यह बात समझ से परे है कि साइड से निकली नगर निगम की उन पुरानी टाइल्स पर दोबारा काम करने गए ठेकेदार का क्या अधिकार है? जो ठेकेदार धड़ल्ले से बेच रहे हैं और चीफ इंजीनियर निर्माण मूकदर्शक बने रहते हैं। जबकि नगर निगम यदि उन पुरानी टाइल्स को जमा करा कर अपने स्तर से बेचेगा तो साल के करोड़ों रुपए की आमदनी होगी।
दोगुना इस्टीमेट बनाकर किया जा रहा भ्रष्टाचार
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मुरादाबाद नगर निगम में निर्माण कार्य की लिए एरिया इंजीनियरों द्वारा जब किसी वार्ड में सड़क या नाला नाली निर्माण कार्य के लिए टेंडर निकालने से पहले उस काम की नापतोल की जाती है तो उसके बाद इस्टीमेट बनाए जाते हैं। यदि किसी सड़क, नाला या नाली को बनने के लिए काम का टाइटल (हेडिंग) में तो दर्शाया जाता है, उदाहरण के तौर पर अनिल के मकान से सुनील के मकान तक अब हो सकता है उसकी लंबाई 100 स्क्वॉयर मीटर हो। मगर इस्टीमेट दोगुने एरिया के हिसाब से बनाया जाता है। यह सारा खेल चीफ इंजीनियर की मर्जी से जूनियर स्टॉफ कर रहा है। लोगों का कहना है कि नगर निगम के अभियंता का यह खेल वर्षों से जारी है। मगर अभी यह लोग अभी एसीबी के हत्थे नहीं चढ़े हैं। इसलिए कार्रवाई नहीं पा रही है।
40 प्रसेंट की हम करते हैं कटौती : चीफ इंजीनियर
नगर निगम के चीफ इंजीनियर दिनेश सचान ने बड़ी सफाई से बताया कि नया निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने के बाद जब ठेकेदार के बिलों का भुगतान किया जाता है, तब हम 40 प्रसेंट की कटौती करते हैं। वहीं नगर निगम के चीफ इंजीनियर की इस सफाई को अवर अभियंताओं ने नाम न छापने की शर्त पर झूठा बताया और कहा, कि ऐसा कुछ नहीं होता है, बल्कि इस्टीमेट डबल बनाकर डबल भुगतान लिया जा रहा है।