मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।
विद्युत विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय के आदेश का अनुपालन 20 वर्ष के उपरांत भी नहीं किया गया। यही नहीं राज्य आयोग लखनऊ द्वारा अपील निरस्त होने उपरांत भी आदेश का अनुपालन नहीं किया गया जिसे जिला उपभोक्ता आयोग ने गंभीरता से लिया और विद्युत नगरीय वितरण खंड प्रथम मुरादाबाद के अधिशासी अभियंता रोहित शर्मा को एक माह के साधारण कारावास से दंडित कर दिया और गिरफ्तारी के वारंट जारी कर दिया। महानगर की जाटव बस्ती करूला निवासिनी कीर्ति देवी पत्नी मनोहरलाल विद्युत कनेक्शन संख्या 3293/094233 की उपभोक्ता चली आती थी जिसका स्वीकृत भार 4 किलोवॉट था गलत विद्युत बिल भेजने एवं विभाग द्वारा संशोधित ना करने पर पर विद्युत विभाग ने दिनांक 10 मई,1999 को विद्युत कनेक्शन को काट दिया तार,मीटर आदि हटा लिये। उपभोक्ता द्वारा स्थाई विच्छेदन तैयार करने,अंतिम बिल जारी करने की मांग की गई लेकिन विद्युत नगरीय वितरण खंड प्रथम मुरादाबाद ने उपभोक्ता की नहीं सुनी जिस पर उपभोक्ता ने वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय के माध्यम से जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय मुरादाबाद में वाद योजित किया।
बिजली विभाग की अपील निरस्त
आयोग द्वारा दिनांक 7 मार्च 2005 को उपभोक्ता के पक्ष में आदेश पारित किया गया और विभाग को आदेश दिया गया कि वह दिनांक 28 फरवरी 2001 से पूर्व की बकाए का अंतिम बिल मीटर रीडिंग अनुसार जारी करे तथा एक हजार रुपए क्षतिपूर्ति अदा करें लेकिन विद्युत विभाग ने आदेश का पालन ना करके राज्य आयोग लखनऊ में अपील योजित कर दी लेकिन बीस वर्ष बाद राज्य आयोग ने विद्युत विभाग की अपील को 2 सितंबर 2024 को निरस्त कर दिया। 6 माह बाद भी विद्युत विभाग द्वारा जिला आयोग के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया।
एसपी को अधिशासी अभियंता के गिरफ्तारी के आदेश
जिस पर जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय को वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय ने विभागीय लापरवाही व सेवाओं में कमी से अवगत कराया तो जिला आयोग ने विद्युत नगरीय वितरण खंड प्रथम मुरादाबाद के अधिशासी अभियंता रोहित शर्मा को दोषी मानते हुए एक माह के साधारण कारावास से दंडित कर दिया और गिरफ्तारी के वारंट जारी कर दिया और पुलिस अधीक्षक नगर मुरादाबाद को अधिशासी अभियंता को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए। यहां बता दें कि विद्युत विभाग के अफसर न्यायालयों के आदेशों को गम्भीरता नहीं लेते,सोचते है कि कुछ होगा तो उच्च अधिकारियों को बीच में लाकर मामले को समाप्त करा लेंगे। सजा पूर्ण हो जाए,सर्विस रिकॉर्ड पर सजा संबंधी टिप्पणी अंकित हो जाए तो लापरवाही करने वाले अफसर डरने के साथ साथ भविष्य में लापवाही करने पहले सोचेंगे।