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Photograph: (MORADABAD )
मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता।नदी के क्षेत्रफल में बसे मकानों पर एक बार फिर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। बाढ़ खंड को अब तक सर्वे ऑफ इंडिया और सेंट्रल वॉटर कमीशन (CWC) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (NIH) से नहीं मिली है। यह रिपोर्ट बाढ़ संभावित क्षेत्रों की पहचान और वहां किए गए निर्माणों के संबंध में अहम मानी जा रही है।
बाढ़ से निपटने की बीच में ही लटकी तैयारियां
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NIH से रिपोर्ट मिलने के बाद ही बाढ़ खंड जमीनी स्तर पर उसका सत्यापन करेगा। इसके बाद ही राज्य सरकार भारत सरकार को अंतिम सत्यापन रिपोर्ट भेज पाएगी। उसी के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बाढ़ परियोजनाओं पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में हो रही देरी के कारण इस साल बाढ़ से निपटने की तैयारियां अधर में लटकी हुई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय पर रिपोर्ट नहीं आई और सत्यापन नहीं हुआ, तो संभावित बाढ़ क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य समय रहते नहीं शुरू हो पाएंगे। ऐसे में बाढ़ आने की स्थिति में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हो सकता है।
स्थानीय लोगों में डर प्रशासन शांत
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नदी के किनारे बने घरों में रहने वाले लोगों में डर का माहौल है। मानसून नजदीक है, लेकिन अभी तक बाढ़ को लेकर कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है, साथ ही प्रशासन की ओर से भी कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश या चेतावनी जारी नहीं की गई है।
अब निगाहें केंद्र सरकार पर
NIH से रिपोर्ट आते ही राज्य सरकार उसे सत्यापित कर केंद्र को भेजेगी। इसके बाद ही तय होगा कि बाढ़ से बचाव की कौन-कौन सी परियोजनाएं धरातल पर उतरेंगी। लेकिन तब तक नदी किनारे बसे लोगों को खुद ही अपनी सुरक्षा के उपाय करने होंगे।
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