मुरादाबाद वाईवीएन संवाददाता। मदरसों को लेकर दिए गए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के बयान को लेकर देशभर में जारी बहस के बीच समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने उनका खुलकर समर्थन किया है। डॉ. हसन ने कहा कि महमूद मदनी ने बिल्कुल सही कहा है सरकार को उनके बयान पर आपत्ति नहीं बल्कि आत्ममंथन करना चाहिए।
मदरसों के खिलाफ झूठा नैरेटिव बनाया गया है
डॉ. हसन ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में एक खास विचारधारा के लोगों द्वारा मदरसों के खिलाफ झूठा नैरेटिव गढ़ा गया। उन्होंने कहा, “मदरसों के अंदर आतंकवादी पैदा होते हैं यह कहकर भगवा ब्रिगेड ने खूब कोशिश की कि वहां से बारूद और बम निकाले जाएं लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं मिला। जबरन एक हाइप बनाया गया। उन्होंने कहा कि आज मदरसे केवल धार्मिक शिक्षा नहीं दे रहे बल्कि आधुनिक शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं। ऐसे में अगर सभी मानक पूरे करने के बाद भी इन पर बुलडोजर चलाया जाए तो यह केवल दुश्मनी का संकेत देता है।
धार्मिक मामलों को लेकर असहिष्णुता बढ़ी है
डॉ. हसन ने कहा सरकार को चाहिए कि अगर किसी मदरसे में कोई कमी है तो उसे सुधारने का मौका दे। जब तक मानक पूरे न हों तब तक मान्यता रोकी जा सकती है, लेकिन जब सब कुछ सही हो तब कार्रवाई करना अन्याय है। इससे लोगों को यह संदेश जाता है कि सरकार किसी खास समुदाय को टारगेट कर रही है। उन्होंने देश के माहौल पर चिंता जताते हुए कहा कि बीते दस वर्षों में धार्मिक मामलों को लेकर असहिष्णुता बढ़ी है। उन्होंने कहा किसी को हिजाब से परेशानी है, किसी को नमाज़ से किसी को दरगाहों से। मॉब्लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं। अलीगढ़ में हाल ही में भयावह मॉब्लिंचिंग की घटना हुई जो चिंताजनक है।
डॉ. हसन ने कहा कि आस्था हर व्यक्ति के लिए बेहद अहम होती है और जब उस पर चोट होती है तो लोग जान की बाजी तक लगा देते हैं। आखिर में उन्होंने कहा कि यह देश सभी धर्मों का है। हिंदू-मुसलमान यहां सदियों से साथ रहते आए हैं और आगे भी रहेंगे। अगर 10 प्रतिशत लोग नफरत फैलाना भी चाहें, तो वे देश की गंगा-जमुनी तहजीब को जड़ से नहीं उखाड़ सकते।
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