जिस प्रस्ताव को मुरादाबाद नगर निगम बोर्ड ने मंजूर कर दिया। उसे एक झटके में शहर विधायक रितेश गुप्ता ने दबाव बनाकर पलट दिया और नगर निगम के महापौर विनोद अग्रवाल कुछ ना कर सके।
शहर की सरकार का दर्जा जिस तरह से नगर निगम को हासिल है। ठीक उसी तरह से शहर के प्रथम नागरिक का दर्ज नगर निगम के महापौर को प्राप्त है। शहर के विकास के लिए नगर निगम आम तौर पर लोगों से टैक्स वसूलता है। मगर ताज्जुब वाली बात यह है कि जिस प्रस्ताव को मुरादाबाद नगर निगम बोर्ड ने मंजूर कर दिया। उसे एक झटके में शहर विधायक रितेश गुप्ता ने दबाव बनाकर पलट दिया और नगर निगम के महापौर विनोद अग्रवाल कुछ ना कर सके। यह बात मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद राजनीतिक गलियारों में महापौर की जो किरकिरी हो रही है। उसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।
नगर निगम मुरादाबाद बोर्ड बैठक की फाइल फोटो।
बोर्ड की बैठक में पास हुआ था यह प्रस्ताव
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मुरादाबाद नगर निगम की बोर्ड की मीटिंग में यह फैसला लिया गया था कि शहर में जो नगर निगम की 450 दुकाने हैं उनका किराया बढ़ाया जायेगा। जिसके बाद नगर निगम ने सभी दुकानदारों को नोटिस भी भेज दिया। नगर निगम के द्वारा किराया बढ़ाये जाने के विरोध में कुछ दुकानदार लामबंद हो गये। जिसकी परवाह किये बगैर नगर निगम की टीम ने बुध बाजार स्थित एक दुकान प्रकाश बेकरी को सील कर दिया। इसके बाद प्रकाश बेकरी ने कुछ दुकानदारों को लेकर शहर विधायक रितेश गुप्ता से मुलाकात की।
सील होने के बाद आज खुली दुकान।
कानून को रखा ताक पर
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बुध बाजार स्थित प्रकाश बेकरी की दुकान को नगर निगम ने कानून के दायरे में बोर्ड से मंजूर नियमावली के तहत सील किया था। मगर शहर विधायक रितेश गुप्ता के दबाव में नगर निगम अपने लगाये गये सील को खुद तोड़ दिया और आज प्रकाश बेकरी की दुकान खुल गई। यह किस नियमावली के तहत नगर निगम ने किया। इसके बारे में नगर निगम के अधिकारी खामोश हैं।
महापौर विनोद अग्रवाल।विधायक रितेश गुप्ता।
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आम जनता पूछ रही है सवाल
कौन चला रहा है नगर निगम को, विधायक या महापौर ?
नगर निगम के लिए क्या कानून के कोई मायने नहीं ?
नगर आयुक्त ने किस नियमावली के तहत प्रकाश बेकरी की दुकान को सील किया?
और किस कानून के तहत दो दिन के बाद नगर आयुक्त ने खुद दुकान की सील को तोड़ने का आदेश दिया?