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Moradabad: तेंदुए के हमले से घायल हुए युवक की इलाज के दौरान मौत,गांव में पसरा मातम

गांव नक्शंदाबाद निवासी दलवीर पुत्र मुन्नू सिंह मेहनत मजदूरी करके खेती का काम किया करता था। बीते शुक्रवार को खेत पर चारा काटते समय तेंदुए ने दलवीर कर जानलेवा हमला कर दिया। 4 दिन से डॉक्टरों ने युवक को वेंटिलेटर पर रखा जहां उसने इलाज के दौरान दम तोड दिया।

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Roopak Tyagi
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फोटो: थाना और मृतक

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मुरादाबाद, वाईवीएन संवाददाता।छजलैट थाना क्षेत्र के गांव नक्शंदाबाद में तेंदुए के हमले में घायल हुए एक युवक ने इलाज के दौरान दम तोड दिया। जैसे ही युवक की मौत की सूचना गांव में फैली तो गांव में मातम पसर गया। युवक की मौत के बाद पत्नी और बच्चों का रो रोकर बुरा हाल है।

मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पालता था दलवीर

गांव नक्शंदाबाद निवासी दलवीर पुत्र मुन्नू सिंह मेहनत मजदूरी करके खेती का काम किया करता था। बीते शुक्रवार को खेत पर चारा काटते समय तेंदुए ने दलवीर कर जानलेवा हमला कर दिया था। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। स्थानीय लोगों ने घायल युवक को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था,जहां डॉक्टरों की टीम द्वारा किसान के दो ऑपरेशन किए गए लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी। 4 दिन डॉक्टरों ने युवक को वेंटिलेटर पर रखा जहां उसने इलाज के दौरान दम तोड दिया। मृतक अपने पीछे चार बच्चे व पत्नी को रोता बिलखता छोड़ गया।

वन विभाग के खिलाफ ग्रामीणों में आक्रोश 

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बीते एक महीने से गांव में लगातार तेंदुआ देखा जा रहा था। जिसकी सूचना भी वन विभाग को दी गई। लेकिन सूचना देने के बाद भी विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि अगर वन विभाग उस समय गौर कर लेता तो आज दलवीर उनके बीच होता।

आज फिर देखा गया तेंदुआ

शुक्रवार देर रात ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत करते हुए तेंदुए को पकड़वाया था। इसके बाद सोमवार को फिर एक तेंदुआ देखा गया। जिसको देखकर ग्रामीण सहमे हुए हैं। वन विभाग को फिर से ग्रामीणों ने सूचना दी है लेकिन अभी तक विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब सवाल जनता पर नहीं बल्कि विभाग पर है कि जब ग्रामीणों द्वारा तेंदुए की सूचना दी गई तो वन विभाग द्वारा गांव में पिंजरा क्यों नहीं लगाया गया। क्या वन विभाग और कोई बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।

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रेंजर ने नहीं उठाया फोन

यंग भारत की टीम ने जब रेंजर गिरीश चंद्र से फोन पर वार्ता करनी चाही तो उन्होंने फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा,इससे वन विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े होते हुए नजर आ रहे हैं।

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