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Moradabad: MRI मशीन: Dy Cm और प्रभारी मंत्री को मुरादाबाद के CMO व CMS ने दिया चकमा

मुरादाबाद के स्वास्थ्य महकमे में अफसरों ने तो हद कर दी। अभी तक वह मरीज को चकमा देते थे। मगर अब तो उन्होंने सीधे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और प्रभारी मंत्री अनिल कुमार को चकमा देना शुरू कर दिया है ।

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Roopak Tyagi
जिला अस्पताल में एमआरआई जांच के लिए परिसर में एमआरआई भवन तो बना है, लेकिन ना तो यहां जांच होती है बल्कि यहां ताला लटका हुआ है।

एमआरआई भवन Photograph: (वाईबीएन संवाददाता )

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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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मुरादाबाद के स्वास्थ्य महकमे में अफसरों ने तो हद कर दी। अभी तक वह मरीज को चकमा देते थे। मगर अब तो उन्होंने सीधे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और प्रभारी मंत्री अनिल कुमार को चकमा देना शुरू कर दिया है । आपको जानकर ताज्जुब होगा कि मुरादाबाद मंडलीय अस्पताल में एमआरआई मशीन काम नहीं करती। पुराने भवन को एक दीवाल खींचकर उसे एक करोड़ की लागत से बना हुआ एमआरआई भवन बता दिया। एमआरआई मशीन काम न करने के बावजूद सीएमओ और सीएमएस ने दोनों मंत्रियों को यह जानकारी दी कि भवन निर्माण करके एमआरआई मशीन से मरीजों की जांच की जा रही है।


सरकार के 8 साल बेमिसाल कार्यक्रम में पहुंचे जिले के प्रभारी मंत्री अनिल कुमार ने खूब जोर-जोर से इस एमआरआई भवन का और एमआरआई मशीन से चल रहे जांच का खूब बखान किया। यही नहीं इनसे चार दिन पहले जब डिप्टी सीएम बृजेश पाठक आए थे उन्होंने भी एमआरआई मशीन का जिक्र किया था।  मगर हकीकत यह है एमआरआई मशीन खरीद कर तो रख ली गई है। मगर उससे मरीज का कोई भला नहीं हो रहा है क्योंकि एमआरआई मशीन का केवल ढांचा बचा है। बताया जाता है कि बाकी सामान गायब है । अब सच क्या है या तो तभी पता चलेगा जब एमआरआई भवन को खोलकर बारीकी से उसका निरीक्षण किया जाए क्योंकि जब अधिकारी डिप्टी सीएम और जिले के प्रभारी मंत्री को धोखा दे सकते हैं तो मरीज तो बेचारे हैं।

वहीं अस्पताल में पहुंची मुगलपुरा की रहने वाली राधा ने बताया कि यहां अपनी जांच कराने आई थी। सिर में दर्द रहता है, डॉक्टर ने देवी दवाई दी है कोई आराम नहीं हो रहा है।एमआरआई करानी पड़ेगी लेकिन इतने पैसे नहीं हो पाते कि इतनी महंगी जांच कराई जा सके।
राधा। Photograph: (वाईबीएन संवाददाता )
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अस्पताल में पहुंची मुगलपुरा की रहने वाली राधा ने बताया कि यहां अपनी जांच कराने आई थी। सिर में दर्द रहता है, डॉक्टर ने देवी दवाई दी है कोई आराम नहीं हो रहा है।एमआरआई करानी पड़ेगी लेकिन इतने पैसे नहीं हो पाते कि इतनी महंगी जांच कराई जा सके।

बाहर 5 से 7 हजार रुपए में मरीज करा रहे हैं एमआरआई

सरकार ने सुविधाएं तो सारी दे रखी हैं मगर जिले के अफसरों की मनमानी की वजह से मरीज को बाहर से एमआरआई करानी पड़ रही है। जहां पर 5 हजार से 7 हजार रुपए तक एमआरआई के नाम पर वसूले जाते हैं।

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भवन निर्माण के नाम पर हुआ बंदरबांट 

अस्पताल में एमआरआई भवन को इसलिए बनवाया गया ताकि मरीजों को जांच के लिए भटकना न पड़े। मिली जानकारी के मुताबिक अस्पताल में एमआरआई भवन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है,इस भवन का निर्माण पहले ही हो चुका था जिस पर कुछ जिम्मेदारों की मिलीभगत से पुरानी बिल्डिंग पर ही एमआरआई भवन लिखवा दिया गया और सरकार से आए पैसे का बंदरबांट कर लिया गया।

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छजलैट थाना क्षेत्र के रवाना गांव के रहने वाले ऋषिपाल ने बताया कि बहुत दिनों से पैर सुन्न हो जाता है। एमआरआई कराने आया था लेकिन यहां तो ताला लटका पड़ा है। सरकारी अस्पताल में भवन तो बना है लेकिन यहां कोई जांच समय पर नहीं होती है।
ऋषिपाल Photograph:(वाईबीएन संवाददाता )

 

डॉक्टर को निजी अस्पताल से आता है कमीशन

पंडित दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय मुरादाबाद मंडल का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है यहां की अगर बात करें तो यहां एमआरआई की सुविधा नहीं है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को यहां के डॉक्टर बाहर एमआरआई कराने की सलाह देते हैं साथ ही कुछ चुनिंदा अस्पतालों में मरीजों को भेजा जाता है इससे डॉक्टरों को मोटा कमीशन भी मिलता है।

एमआरआई भवन बना पार्किंग स्थल 

जिला अस्पताल में एमआरआई भवन में ताले लटके होने के साथ साथ पार्किंग स्थल भी बन गया है। यहां लगे ताले और भवन के बाहर खड़ी बाईकें खुद इस भवन की बदहाली की दास्तां बयां कर रहे हैं। आखिर जिम्मेदार कब नींद से जागेंगे ये देखने वाली बात होगी।

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