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ईलाज कराने के लिए लगी मरीजों की कतार।
योगी सरकार के आठ साल पूरे होने पर प्रभारी मंत्री अनिल कुमार ने कुछ दिन पहले जनपद का दौरा किया था। जिसमें प्रभारी मंत्री ने जिला अस्पताल में 89.87 लाख रुपये की लागत से इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब लैब्रोरेट्री (आईपीएचएल) लैब को संचालित बता दिया था। प्रभारी मंत्री के बखान की जब यंग भारत की टीम ने पड़ताल की तो हकीकत कुछ और ही निकली।
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यहां अभी तक लैब संचालित नहीं है और काम भी अधूरा पड़ा है। लैब में कुर्सियां भी इधर उधर बिखरी पड़ी हैं।
प्रभारी मंत्री ने बताया था कि जिला अस्पताल की माइक्रोबायोलॉजी लैब में वायरोलॉजी, बैक्टीरियोलॉजी, प्रोटिस्टोलॉजी, माइक्रोलॉजी, इम्युनोलॉजी और पैरासिटोलॉजी की जांच की जा रही हैं। इस लैब में जांच तो दूर की बात है, कोई मशीन भी मौजूद नहीं है।
क्या कहते हैं जांच कराने आए मरीज
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अस्पताल ने जांच कराने आए मरीज यादराम का कहना है कि सरकार ने मोटी रकम खर्च करके लैब बनवाई है,लेकिन यहां लैब के नाम पर खानापूर्ति नजर आ रही है। 3 घंटे से लाइन में लगे हैं अभी तक नंबर नहीं आया, और यहां का स्टाफ सीधे मुंह बात नहीं करता है।
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दौलतबाग निवासी नीतू ने बताया कि सरकार द्वारा अस्पताल को बहुत पैसा दिया जाता है, लेकिन यहां के जिम्मेदार लोग काम कराने की बजाय अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। यहां सुविधाएं की कमी है,सरकार को ध्यान देना चाहिए।
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