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Moradabad : क्यों मासूमों के लिए जेल ही बनी दुनिया ? मां के जुर्म की सजा भोग रहे मासूम

मुरादाबाद जिला कारागार में 100 से अधिक महिला कैदी अपने अपने जुर्मों की सजा काट रही हैं।जिनमें से 4 महिला कैदी ऐसी भी हैं जो अपने बच्चों के साथ जेल में बंद हैं।

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Anupam Singh
रबरबर

जिला कारागार

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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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हर मां चाहती है कि उसके बच्चों का बचपन बहुत अच्छा हो और उसके बच्चे अच्छे माहोल्ल में रहे लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि एक मां अपने बच्चों को जेल में अपने साथ रखने को मजबूर है कुछ ऐसा ही मुरादाबाद जिला कारागार में देखने को मिला. जहां बंद महिला कैदियों के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे भी सजा काट रहे हैं।जेल में बंद होकर मासूम मजबूर होकर अपनी मां के साथ बचपन बिता रहे हैं।जिला कारागार में ऐसे बच्चों की संख्या 4 है।हालांकि प्रशासन द्वारा उन्हें सारी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

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मां के गुनाहों की सजा काट रहे हैं मासूम

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मुरादाबाद जिला कारागार में 100 से अधिक महिला कैदी अपने अपने जुर्मों की सजा काट रही हैं।जिनमें से 4 महिला कैदी ऐसी भी हैं जो अपने बच्चों के साथ जेल में बंद हैं।इन महिला कैदियों के साथ उनके बच्चे भी अपनी मां के गुनाहों की सजा काट रहे हैं।जिसके कारण ये मासूम बाहर की दुनिया नहीं देख पा रहे हैं,इन मासूमों के लिए जेल ही इनकी दुनिया बन गई है। हालांकि इन बच्चों की देखरेख और पालन-पोषण का जिम्मा जेल प्रशासन उठा रहा है

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जेल प्रशासन उठा रहा है मासूमों की जिम्मेदारी

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मुरादाबाद जेल अधीक्षक आलोक सिंह ने बताया कि जेल में बंद महिला कैदियों के साथ उनके बच्चे भी रहते हैं।जेल नियमावली के अनुसार 6 साल तक के बच्चे अपनी मां के साथ रहते हैं। बच्चे अपनी मां के गुनाहों की वजह से और कम उम्र की वजह से अपनी मां के साथ रहते है।उनका कोई गुनाह नहीं है। जिसको देखते हुए उन्हें कैसे बेहतर माहौल दिया जाए।उसका पूरा प्रयास किया जाता है।साथ ही आपको बता दें कि जेल के अंदर बच्चों के लिए झूले,पार्क और पढ़ाई की व्यवस्था भी की गई है।

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