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Noida में 30 साल पुरानी जर्जर सोसाइटियों का होगा पुनर्विकास, नई नीति को बोर्ड की मंजूरी

नोएडा प्राधिकरण ने शहर की 30 साल या उससे अधिक पुरानी और जर्जर सोसाइटियों के पुनर्विकास (रीडेवलपमेंट) के लिए नई नीति को मंजूरी दे दी है। स्ट्रक्चरल ऑडिट के बाद यदि इमारत खतरनाक पाई जाती है, तो 70% निवासियों की सहमति से उसे तोड़कर दोबारा बनाया जाएगा।

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Jyoti Yadav
30 year old dilapidated societies in Noida will be redeveloped board approves new policy
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नोएडा, वाईबीएन डेस्क | नोएडा प्राधिकरण ने शनिवार,28 जून को हुई बोर्ड बैठक में शहर की 30 साल या उससे अधिक पुरानी और जर्जर सोसाइटियों को तोड़कर दोबारा बनाने की रीडेवलपमेंट पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। बैठक की अध्यक्षता प्राधिकरण के चेयरमैन और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने ऑनलाइन की, जबकि सीईओ डॉ. लोकेश एम और अन्य अधिकारी बोर्ड रूम में मौजूद रहे।

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तीन श्रेणियों की सोसाइटियों पर होगा फोकस

नोएडा में तीन तरह की सोसाइटियां मौजूद हैं- प्राधिकरण की ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं, को-ऑपरेटिव और कर्मचारियों की हाउसिंग सोसाइटियां, और निजी बिल्डरों द्वारा निर्मित सोसाइटियां। अधिकारियों के अनुसार, 40 से अधिक सोसाइटियां 30 साल से अधिक पुरानी हैं, जिनकी स्थिति की जांच कराई जाएगी। यदि कोई इमारत जर्जर या खतरनाक पाई जाती है, तो उसका स्ट्रक्चरल ऑडिट आईआईटी या एनआईटी से कराया जाएगा। मामूली मरम्मत की जिम्मेदारी सोसाइटी की एओए या देखरेख करने वाली संस्था की होगी। लेकिन यदि इमारत रहने लायक नहीं पाई गई, तो 70% निवासियों की सहमति के बाद उसे रीडेवलप करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

कैसे होगा पुनर्विकास

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  • नई नीति के तहत, ओपन टेंडर प्रक्रिया से विकासकर्ता का चयन किया जाएगा।
  • मौजूदा 1.5 एफएआर वाली सोसाइटियों को 3.5 एफएआर तक निर्माण की अनुमति दी जाएगी, जिसमें से 2.75 एफएआर निशुल्क होगा।
  • विकासकर्ता को पुराने फ्लैट की तुलना में कम से कम 10% बड़ा नया फ्लैट देना होगा।
  • निवासियों के लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था भी विकासकर्ता को करनी होगी।
  • अधिकतम तीन साल में निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा देना अनिवार्य होगा।

किन क्षेत्रों में होगी शुरुआत

सेक्टर-11, 27, 34, 52, 61, 66, 71, 73, 82, 93, 93ए, 105 और 135 जैसे क्षेत्रों में कई पुरानी ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं हैं, जिनमें रिडेवलपमेंट की प्रक्रिया सबसे पहले शुरू की जा सकती है। बैठक में पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर होटल निर्माण योजना को भी मंजूरी दी गई। नोएडा प्राधिकरण की यह नीति न केवल पुरानी सोसाइटियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगी, बल्कि सुरक्षित भी बनाएगी।

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  • पहले चरण में दो प्लॉट- एक सात सितारा और एक तीन सितारा होटल के लिए पेश किए जाएंगे।
  • जो समूह अधिक लाभ साझा करने की पेशकश करेगा, उसे टेंडर मिलेगा।
  • होटल निर्माण, संचालन और मुनाफे का हिस्सा प्राधिकरण को देना अनिवार्य होगा।
  • ये प्लॉट मुख्य रूप से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित हैं।

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