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नोएडा, वाईबीएन संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने जिस एसआईटी रिपोर्ट पर आदेश बुधवार को आदेश दिया। उसमें 20 मामलों में भूस्वामियों को करीब 117 करोड़ रुपए का अत्यधिक मुआवज़ा दिया गया। इसमें नोएडा के दोषी अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। इस सवाल पर कि क्या लाभार्थियों और नोएडा अधिकारियों के बीच मिलीभगत थी, एसआईटी ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों, उनके परिवार के सदस्यों, भूस्वामियों और संबंधित अवधि के दौरान अधिकारियों द्वारा अर्जित संपत्तियों के बैंक खातों के विवरण की जांच करना आवश्यक है।
प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव
रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया है कि नोएडा में निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है। महत्वपूर्ण निर्णय जनता के बिना अवगत कराए लिए जाते है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि परियोजनाओं पर नियमित सार्वजनिक रिपोर्टिंग का अभाव है और नीतियां डेवलपर्स के पक्ष में होती हैं। दरअसल, नोएडा प्राधिकरण में मुआवजा वितरण घोटाले की जांच पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अगुवाई में एक तीन सदस्य गठित एसआईटी कर रही थी।
इस कमेटी ने करीब 3000 फाइलो को खंगाला। जिसमें 17 ऐसी फाइल थी जिसमें मुआवजा से संबंधित गड़बड़ी मिली। ये एसआईटी की टीम इसलिए गठित की गई थी कि इससे पहले जिस टीम ने कोर्ट में रिपोर्ट दी थी उस रिपोर्ट पर कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि वो ये मानने को तैयार नहीं प्राधिकरण का कोई अन्य अधिकारी सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग और गबन में शामिल नहीं पाया गया है।
कोर्ट ने ये भी कहा था अतिरिक्त मुआवजा पाने वाले किसी भी किसान के साथ प्राधिकरण कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता। ये पूरा मामला करीब 117 करोड़ से जुड़ा है। फिलहाल अब सुप्रीम कोर्ट ने नई एसआईटी गठित करने के लिए आदेश दिया है। जिसमें संपत्तियों की फॉरेंसिक जांच भी शामिल होगी।
इस आदेश पर पर किया जाएगा अमल
- -डीजीपी उत्तर प्रदेश पिछली एसआईटी द्वारा चिन्हित मुद्दों को देखते हुए आईपीएस संवर्ग के तीन पुलिस अधिकारियों वाली एक एसआईटी गठित करेंगे।
- इस प्रकार गठित एसआईटी तुरंत प्रारंभिक जांच दर्ज करेगी। पिछली एसआईटी द्वारा उजागर किए गए बिंदुओं की जांच करेगी। इस संबंध में फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ-साथ राज्य पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा को भी शामिल किया जाएगा।
- यदि एसआईटी, प्रारंभिक जांच के बाद, यह पाती है कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध किया गया है, तो वह मामला दर्ज करेगी और कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करेगी।
- एसआईटी के परिणाम को एसआईटी प्रमुख द्वारा स्थिति रिपोर्ट के माध्यम से रिकॉर्ड पर रखा जाएगा, जो पुलिस आयुक्त के पद से नीचे का अधिकारी नहीं होगा।
- नोएडा के दैनिक कामकाज में पारदर्शिता और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण लाने के लिए, एसआईटी रिपोर्ट की एक प्रति उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के समक्ष रखी जाए। इसे उचित एजेंडा मदों के साथ मंत्रिपरिषद के समक्ष उचित निर्णय लेने के लिए प्रस्तुत करेंगे।
- मुख्य सचिव नोएडा में मुख्य सतर्कता अधिकारी भी तैनात करेंगे। ये या तो आईपीएस संवर्ग से हों या सीएजी से प्रतिनियुक्ति पर हों।
- नागरिक सलाहकार बोर्ड का गठन 4 सप्ताह के भीतर हो जाए। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) और सर्वोच्च न्यायालय की हरित पीठ द्वारा रिपोर्ट की स्वीकृति के बिना नोएडा में कोई भी परियोजना शुरू न हो। Noida | greater noida | Greater Noida Authority | greater noida industry | Greater Noida News | Ground Report Noida | Noida Authority Forensic audit India not present