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ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन डेस्क।सुखद और सुंदर भविष्य के बड़े-बड़े सपने आंखों में लेकर महानगर की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली बीडीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा ने जिस तरह फांसी के फंदे पर झलूकर मौत को गले लगाया, उसने एक बार फिर पूरे सिस्टम को निर्वस्त्र कर दिया है। शारदा यूनिवर्सिटी में 21 वर्षीय छात्रा ज्योति शर्मा ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
यह घटना मंडेला गर्ल्स हॉस्टल की 12वीं मंजिल पर हुई, जिसने यूनिवर्सिटी प्रशासन और फैकल्टी के रवैये पर गंभीर सवाल उठाए हैं। घटना के बाद छात्रों और परिजनों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसमें स्थानीय लोग भी शामिल हुए। छात्रों ने हॉस्टल में हंगामा किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस और छात्रों के बीच नोकझोंक भी हुई। हालांकि यूनिवर्सिटी ने दो प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है, और कुलाधिपति पीके गुप्ता ने आंतरिक जांच का आश्वासन भी दियास परंतु परिवार इससे संतुष्ट नहीं है और सवाल अनुत्तरित हैं।
'मैं चाहती हूं कि वे जेल जाएं'
ज्योति शर्मा, हरियाणा के गुरुग्राम की रहने वाली थीं। उसने आत्महत्या से पहले अंग्रेजी में लिखा सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें दो प्रोफेसरों महेंद्र सर और शार्ग मैम पर मानसिक उत्पीड़न और अपमान का आरोप लगाया। नोट में लिखा था, "अगर मेरी मौत हुई तो इसके लिए पीसीपी और डेंटल मेडिकल के टीचर जिम्मेदार होंगे। महेंद्र सर और शार्ग मैम मेरी मौत के लिए जिम्मेदार हैं। मैं चाहती हूं कि वे जेल जाएं, उन्होंने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। मैं लंबे समय से डिप्रेशन में हूं।"जैसे वाक्य छात्रा के दर्द और परेशानी की बानगी पेश करते हैं। यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि इन यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं किस मनोदशा से गुजरते हैं। भारी-भरकम फीस लेने वाले स्टूडेंटों से कैसा बर्ताब किया जाता है, इस घटना ने प्रमाणित कर दिया है।
डीन और दो शिक्षकों पर प्रताड़ना का आरोप
ज्योति के पिता, रमेश जांगड़ा ने यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. एम. सिद्धार्थ, प्रोफेसर सैरी मैम, महेंद्र, अनुराग अवस्थी, सुरभि और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और धमकी का आरोप लगाया है। पुलिस की प्रांरभिक छानबीन में पता चला कि ज्योति ने एक टेस्ट की कॉपी पर प्रोफेसर के हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद उन्हें डांटा गया और परिजनों को बुलाया गया। कहा जा रहा है कि इस घटना के बाद से वह गहरे मानसिक दबाव में थी और इसी के चलते इतने कठोर कदम उठाया, कि जिसे एक डाक्टर बनकर लोगों की सेवा करनी थी और अपना भविष्य बनाना था, उसे खुद अपने ही हाथों अपने जीवन का कत्ल करना पड़ा।
छात्रों के प्रति फैकल्टी का कैसा है रवैया?
छात्रों के अनुसार, शारदा यूनिवर्सिटी में फैकल्टी का रवैया सख्त और कभी-कभी अपमानजनक होता है। एक छात्रा ने बताया कि "100 बच्चों पर एक फैकल्टी साइन लेने आती है। कुछ कमेंट कर दो तो तुरंत गेट आउट कर देते हैं।" अन्य छात्रों ने खराब सुरक्षा और भोजन की गुणवत्ता की शिकायत की। ज्योति की एक बैचमेट ने बताया कि वह घटना से पहले परेशान थी, और वार्डन ने सुसाइड नोट छिपाने की कोशिश की। यह दर्शाता है कि प्रशासन और फैकल्टी में पारदर्शिता और संवेदनशीलता की कमी है। उधर, पुलिस के अनुसार, मामले की जांच जारी है, और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। इस घटना ने शारदा यूनिवर्सिटी में मानसिक स्वास्थ्य और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं।
छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ किया प्रदर्शन
यूनिवर्सिटी के छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कई गंभीर आरोप लगाये है, मृतका ने भी अपने लिखे गए नोट में मेंटल हरैसमेंट के की बात कही है. जिसमें उसने अपने दो प्रोफेसर और मैनेजमेंट के ऊपर मेंटल हैरेसमेंट का आरोप लगाया है। यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना है छात्रों के ऊपर मेंटली प्रेशर डाला जाता है और मरने वाली छात्रा के ऊपर एक फेक साइन करने का आरोप लगाया गया था जिसके चलते वह काफी परेशान चल रही थी। student suicide case | Noida | greater noida | noida laws | noida news | mental health in education not present in content