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आरोपी फरहान नबी।
ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन डेस्क। आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा कासना औद्योगिक क्षेत्र से दिल्ली निवासी फरहान नबी सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद स्थानीय पुलिस ने भी अपनी जांच शुरू कर दी है। पुलिस को पता चला है कि फरहान विदेशी फंडिंग के सहारे नफरती बीज बोने का काम कर रहा था। आरोप है कि फरहान पिछले दो वर्षों से कासना में ऐसी फैक्ट्री चला रहा था, जहां धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने और विदेशी फंडिंग जुटाने के लिए भड़काऊ सामग्री वाली किताबें छापी जाती थीं। बड़ी बात यह भी है कि फरहान की फैक्ट्री में जर्मनी और तुर्की से लोग आते थे लेकिन कभी भी फैक्ट्री प्रबंधन ने इस बात की जानकारी स्थानीय पुलिस प्रशासन को नहीं दी।
विदेशी फंडिंग से हो रहे थे धार्मिक विद्वेष फैलाने के काम
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस साजिश के तहत 11 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग भारत भेजी गई थी, जिसका इस्तेमाल नोएडा और ग्रेटर नोएडा में धार्मिक कार्यक्रमों या मस्जिद निर्माण के लिए किया गया हो सकता है। बाकायदा अभियान चलाकर लोगों में धार्मिक वैमनस्यता के बीज बोने का काम किया जा रहा था, पुलिस को इसके अहम सबूत हाथ लगे हैं। कासना पुलिस ने फैक्ट्री के कर्मचारियों और आरोपी के भाई से पूछताछ शुरू कर दी है।
फैक्ट्री में तुर्की और जर्मनी से आते थे लोग
सूत्रों का कहना है कि फरहान, इस्तांबुल इंटरनेशनल कंपनी का सह-निदेशक है, जिसके जरिए हवाला और अन्य माध्यमों से विदेशों से धन जुटाया जाता था। यह पैसा उत्तर प्रदेश और पंजाब में मस्जिदों और मदरसों के निर्माण के लिए ज़मीन खरीदने में खर्च किया गया। बताया जा रहा है कि फैक्ट्री में तुर्की और जर्मनी से कई आगंतुक आते थे, हालांकि फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से इसकी जानकारी कभी स्थानीय पुलिस- प्रशासन को नहीं दी गई थी। पुलिस अब यह जांच रही है कि क्या इस नेटवर्क ने नोएडा में किसी धार्मिक स्थल के लिए जमीन खरीदी थी। फिलहाल आसपास के सभी गोदाम खाली पाए गए हैं और फरहान अपने आस-पास के लोगों से बातचीत नहीं करता था।
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