नोएडा, वाईबीएन नेटवर्क।
नोएडा के सेक्टर 104 में एक कोठी से पोर्न वीडियो स्ट्रीमिंग का धंधा चलाने वाला उज्ज्वल किशोर रूस से इस कारोबार को सीखकर भारत आया था। उसने अपनी पत्नी नीलू के साथ मिलकर "सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड" नामक कंपनी बनाई और विदेशी पोर्न वेबसाइट्स, जैसे कि XHamster और Stripchat, को कंटेंट सप्लाई करके 22 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। यह धंधा उसने रूस में सेक्स सिंडिकेट से जुड़कर सीखा था, जहाँ उसने इस कारोबार के तौर-तरीके समझे और फिर भारत में लागू किए। प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी में इस रैकेट का खुलासा हुआ, जिसमें सोशल मीडिया के जरिए मॉडल्स को लालच देकर इसमें शामिल किया जाता था
500 सेअधिक लड़कियों को फंसाया था
उल्लेखनीय है कि नोएडा के पॉश इलाके में छिपा एक बड़ा पोर्नोग्राफी रैकेट उजागर हुआ था। सेक्टर-105 के एक आलीशान बंगले में चल रहे इस घिनौने खेल का पर्दाफाश तब हुआ जब प्रवर्तन निदेशालय (ED)ने 28 मार्च 2025 को छापा मारा। इस बंगले के अंदर जो कुछ हो रहा था, वो चौंकाने वाला था—यहां हाई-टेक पोर्न स्टूडियो में 500 से अधिक लड़कियों को अश्लील वीडियो बनाने के लिए फंसाया गया था, और इन वीडियोज़ को विदेशी पोर्न साइट्स पर बेचकर 22 करोड़ रुपये की मोटी कमाई की गई। पिछले दिनों जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम कोठी पर पहुंची तो 3 मॉडल्स को स्टूडियो में बिठाकर उनका जिस्म विदेशी दर्शकों के सामने परोसा जा रहा था। उज्ज्वल अपनी पत्नी नीलू के साथ यह कारोबार चला रहा था।
बंगले में छिपा था हाई-टेक पोर्न स्टूडियो
ईडी की छापेमारी में बंगले के ऊपरी हिस्से में अत्याधुनिक कैमरों और सेटअप से लैस एक हाई-टेक स्टूडियो मिला, जहां से अश्लील वीडियो तैयार कर साइप्रस की कंपनी ‘टेक्नियस लिमिटेड’को भेजे जाते थे। यही कंपनी बदनाम पोर्न वेबसाइट्स ‘एक्सहैम्सटर’और ‘स्ट्रिपचैट’ का संचालन करती है। छापे के दौरान कुछ मॉडल्स को आपत्तिजनक हालत में शूटिंग करते हुए पकड़ा गया। पूछताछ में सामने आया कि इस रैकेट को उज्जवल किशोर और उसकी पत्नी नीलू श्रीवास्तव चला रहे थे। ये लोग लड़कियों को बहला-फुसलाकर और मोटी सैलरी का लालच देकर इस गंदे धंधे में धकेलते थे।
सोशल मीडिया पर बिछाया शिकार का जाल
इस जोड़ी ने फेसबुक पर 'चेप्टो डॉट कॉम' नाम से एक पेज बनाया, जहां मॉडलिंग और एक्टिंग के नाम पर लड़कियों को टारगेट किया जाता था। दिल्ली-एनसीआर की कई युवतियां इस जाल में फंसीं और ऑडिशन के बहाने इस बंगले पर पहुंचीं। वहां नीलू श्रीवास्तव उन्हें 'हाई पेइंग जॉब' का लालच देती और फिर अश्लील वीडियो शूट करने के लिए मजबूर किया जाता था।
ग्राहकों के हिसाब से बिकती थी अश्लीलता
ईडी की जांच में सामने आया कि इस रैकेट में लड़कियों को ग्राहकों से मिलने वाली रकम के आधार पर अलग-अलग टास्क दिए जाते थे—
हाफ फेस शो: जहां मॉडल का चेहरा आधा दिखता था
फुल फेस शो: जहां चेहरा पूरी तरह दिखता था
न्यूड कैटेगरी: जिसमें पूरी नग्नता होती थी
इनके लिए ग्राहकों से अलग-अलग शुल्क वसूला जाता था। इस कमाई का 75% हिस्सा उज्जवल और नीलू रखते थे, जबकि 25% लड़कियों को दिया जाता था।
फर्जी कंपनी के जरिए सरकार को किया गुमराह
इस दंपति ने 5 साल पहले ‘सब-डिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक कंपनी खोली, जिसे मार्केटिंग और पब्लिक ओपिनियन पोल सर्विस देने वाली कंपनी बताया गया। लेकिन असल में, यह कंपनी पोर्नोग्राफी का अड्डा थी। ईडी की जांच में इस कंपनी के खातों में 15.66 करोड़ रुपये की संदिग्ध विदेशी फंडिंग और नीदरलैंड्स के एक बैंक खाते में 7 करोड़ रुपये ट्रांसफर होने की जानकारी मिली। छापेमारी में बंगले से 8 लाख रुपये नकद बरामद हुए, जबकि अधिकांश लेन-देन क्रिप्टोकरंसी के जरिए किया गया था, जिससे ट्रैकिंग मुश्किल हो सके।
रूस से सीखा ‘डर्टी बिजनेस’
पूछताछ में उज्जवल ने बताया कि वह पहले रूस में एक पोर्न सिंडिकेट का हिस्सा था, जहां से उसने यह धंधा सीखा। भारत लौटने के बाद उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर यह काला कारोबार शुरू किया। ईडी ने इस पूरे मामले में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत जांच शुरू कर दी है और जल्द ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। यह मामला भारत में ऑनलाइन पोर्नोग्राफी के बढ़ते खतरे को उजागर करता है। सवाल यह उठता है कि सोशल मीडिया और मॉडलिंग के नाम पर चल रहे ऐसे शातिर खेलों को रोकने के लिए कड़े कानून कब बनाए जाएंगे? इंटरनेट की आड़ में बढ़ती इस गंदगी को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार और एजेंसियों को अब और भी सख्त कार्रवाई करनी होगी।